प्रेस विज्ञप्ति| बड़वानी                                                                                                                                                                                                           दिनांक – 19/11/2018

नर्मदा घाटी, मध्य प्रदेश में अस्सल जनतांत्रिक पहल लोकमंच, दलीय व निर्दलीय प्रत्याशी एक मंच पर!

“चुनाव नहीं चुनौती है” के नारे के साथ प्रत्याशियों से हुए कड़े सवाल-जवाब।

भाजपा को छोड़कर सभी दलीय व निर्दलीय प्रत्याशी पहुँचे नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा आयोजित लोकमंच पर।

आज नर्मदा घाटी के कुछ हजार मतदाताओं की उपस्थिती में मध्यप्रदेश विधानसभा के सभी प्रत्याशी एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से कड़े सवाल जवाब हुए| नर्मदा बचाओ आंदोलन से खड़े किए लोकमंच पर भाजपा छोडकर तमाम दलो के तथा निर्दलीय प्रत्याशियों ने उपस्थित होकर अपनी भूमिका स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर पर उठ रहे और मतदाता श्रोताओं से पूछे गए तमाम सवाल व समस्याओं पर विस्तृत जवाब देकर इस जनतांत्रिक पहल की गरिमा बढ़ायी| लोकमंच के बारे में नर्मदा घाटी की जनता ने इससे प्रबोधन लेते हुए कहा कि जो इस मंच पर भाजपा के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं रहे उन्होंने नर्मदा घाटी का ही नहीं, नर्मदा की भी अवमानना की है……. यहाँ के संकट के प्रति उनकी असंवेदना जतायी है|

लेकिन मंच पर उपस्थित कांग्रेस के विधायक रमेश पटेल, पदाधिकारी चन्द्रशेखर यादव, कॉंग्रेस से निकलकर निर्दलीय उम्मीदवार बने ऍड. राजन मंडलोई, बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी सुमेरसिंग बड़ोले, आम आदमी पार्टी के चन्दन बड़ोले तथा निर्दलीय(समाजवादी पार्टी समर्थित) राणा दुर्गेश जी ने खुलकर स्वयं की एवं पार्टी की भूमिका रखने के साथ-साथ कई सारे मुद्दों पर खुलकर जवाब दिया|

मुद्दे उठाते हुए जनता ने कड़े सवाल किए नर्मदा पर ही नहीं किसानों, मजदूरों पर भी| नर्मदा पर पिछली विधानसभा में किसने,कितने सवाल उठाये यह पूछने पर चंदू भाई यादव ने कहा, भाजपा के शासन में हमें पूछने का न मौका मिला, नहि चर्चा का लेकिन कॉंग्रेस के सभी विधायकों ने सभा त्याग करके, बड़वानी व चिखल्दा के उपवास के दौरान व हर आंदोलन में सहभाग लिया| भाजपा पार्टी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कभी चर्चा न करने पर सवाल उठाये गये, वैसे ही नर्मदा सेवा यात्रा में हजारों करोड़ रु. खर्च करने के बावजूद न कोई शराब की दुकान, न अवैध रेत खनन रुका| निर्दलीय उम्मीदवार राजन मंडलोई ने स्वयं आंदोलन के नारे लगाकर, नर्मदा के सामाजिक, पर्यावरणीय मुद्दों पर जानकार होने का परिचय दिया|

किसानों के मुद्दों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य, मंडी में अव्यवस्था, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश (लागत के डेढ़ गुना दाम) तथा आत्महत्याओं पर उठायी गयी आवाज के साथ भाजपा-कॉंग्रेस के घोषणा पत्रों पर टिप्पणी के साथ मेधा पाटकर जी ने कहा की एक ओर जब कॉंग्रेस सहित तमाम विरोधी दलों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय की ओर से लोकसभा व राज्य सभा में  प्रस्तुत किये दो क़ानूनों पर जिसमें सम्पूर्ण कर्जमुक्ति  का मुद्दा भी है, समर्थन के हस्ताक्षर किए है, तो घोषणा पत्र में कॉंग्रेस ने मात्र 2 लाख तक कर्जमुक्ति का आश्वासन कैसे दिया, इसका जवाब चाहिए| भाजपा के प्रतिनिधि न होने के नाते, मंदसौर का हत्याकांड, व्यापम घोटाला , मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार, शिक्षा में शासकीय संस्थाओं की दुर्दशा व छात्रवृत्ति भुगतान में दिक्कते, से लेकर बड़वानी के लॉ कॉलेज को बंद करने तक के मुद्दों पर जवाब लेना मुश्किल हुआ|

बसपा के सुमेरसिंग ने तथा निर्दलीय राजन मंडलोई ने सुशिक्षित प्रतिनिधि की जरूरत पर ज़ोर देते ही सवाल किये गये, “क्या अनपढ़ किसानों का, मजदूरों का योगदान आप नकारते है, क्या पड़े लिखे नेताओं ने देश का भला किया है…..” इन सवालों का जवाब विस्तृत से देते हुए, दोनों को कहना पड़ा…….. नहीं| लेकिन कानून, बजट, कोर्ट कचहरी अर्जी चिट्ठी सब कार्य के लिए जरूरी है, विधायक सक्षम होना| महिलाओं को सबरीमाला में  प्रवेश बंदी पर कमला यादव ने किये सवाल का जवाब नहीं दे पाये प्रत्याशी|

मंथन अध्ययन केंद्र के रेहमत भाई मंसूरी ने सवाल उठाया कि क्या नर्मदा से, जलाशयों से, पाइपलाइनों के द्वारा पानी उठाकर मालवा कि नदियों में डालने की करोड़ो की एकेक योजना आगे बढ़े तो निमाड के खेत, गाँव, कुएं सूखेंगे नहीं? कॉंग्रेस के प्रत्याशी ने जवाब दिया, हम सत्ता में आए तो यह नहीं होने देंगे| और अगर किसी ने समर्थन दिया तो लड़ेंगे भी हमारे दल के सामने|

आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी चन्दन बडोले पर सवाल कसे और यह भी पूछा गया कि पार्टी ने रेत माफियाओं को प्रत्याशी बनाया कैसे?चन्दन ने अवैध रेत खनन कार्य किया इसलिए खुली सभा में माफी मांग ली|

लोकमंच से पेसा, अनुसूचित जाति- जनजाति पर अत्याचार का विरोध, नोटबंदी, जीएसटी पर उठे सवाल और जवाबो से भाजपा की नीतियों और निर्णयों को चुनौती दी गई| राहुल यादव, भागीरथ धनगर, सेंचुरी मिल के प्रतिनिधी सत्येंद्र यादव, नवीन मिश्र, ज्योति भदाणे आदि ने स्वागत, संचालन इत्यादि से रंग भरा| सेंचुरी मिल्स के श्रमिकों के समर्थन में होने कि बात सभी प्रत्याशीयों ने कहने से बल बढ़ा|

देवराम कनेरा जी ने रुलसिंग बारेला ने तथा भागीरथ धनगर, सत्येंद्र यादव और मेधा पाटकर जी ने लोकमंच का महत्व, शराब, पैसा या झूठे वादों के जगह विचार संहिता का पुरस्कार की राजनीति में जरूरत आदि मुद्दों से कार्यक्रम का महत्व विशद किया| आज की केंद्र व राज्य कि सरकार, जो कानून बदलती है या लोकवादी क़ानूनों का अमल नहीं करती है, उसे चेतावनी व्यक्त हुई| शराब, पैसा या वस्तु लेकर वोट न देने का संकल्प एक प्रकार से लेते हुए ही करीबन 40 गांवों से आ प्रतिनिधी वापस लौट गये| नारा गूँजता रहा, चुनाव नहीं, चुनौती है! नवीन मिश्रा जी ने “साथियों सलाम है”  गीत द्वारा लोगों के रोंगटे खड़े कर दिये|

भागीरथ धनगर, कैलाश यादव, बालाभाई यादव, श्यामा मछुआरा, देवराम कनेरा, रामेश्वर भिलाला, गोखरू सोलंकी, हरेसिंग दरबार,कमला यादव, पवन यादव, सौरव राजपूत, राजा मंडलोई, मेधा पाटकर

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महेंद्र तोमर – 9755544097

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