महाराष्ट्र  के नंदूरबार जिले  3.5 रिक्टर स्केल का  भूकंप

सरदार सरोवर भूकंप का केन्द्रः गुजरात छिपा रहा है चेतावनी

 21 अगस्त 2018, नदूरबार  ::  कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले  (सावर्डे, शहादा) में आये 3.5 रिक्टर स्केल के भूकंप का केंद्र सरदार सरोवर के नजदीक आया है ।  क्या इससे कुछ संदेशा प्राप्त हुआ है? कोई चेतावनी?

सरदार सरोवर ही नही तो नर्मदा पर बन रहे सभी 30 बड़े बांध 135 मुख्य नदी और उपनदियों पर बने बांध, ‘नर्मदा-सोन’ नाम के भूकंप प्रवण लाईन पर हैं। सरदार सरोवर सहित इतने बड़े जलाशयों का भार यह क्षेत्र कितना सहेगा और भूकंप का खतरा कितना बढेगा, यह सवाल पहले से ही उठा हैं। शासनकर्ताओं ने पर्यावरण उपदल, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की हर बैठक में सालों तक यह मुद्दा एजेण्डा पर लेने के बावजूद मात्र उपरी स्तर की बाते की। हर वक्त, हर साल की प्राधिकरण की वार्षिक रिपोर्ट में एक ही परिच्छेद छपता रहा जो भी काफी महत्वपूर्ण क्या,चेतावनी देने वाला ही हैं। उसके अनुसार सरदार सरोवर बांध का बड़े भूकंप के आने पर भी सुरक्षित रखने के लिए 2 से 3 दशलक्ष टन सीमेंट तथा 2 से 3 दशलक्ष टन लोहा, उसकी नीव में भरा हुआ है (Grouting) इसका मतलब ही है कि इतना बड़ा 7 रिक्टर स्केल का भूकंप भी संभव हैं। लेकिन घाटी के मकान व अन्य संपत्ति, जानमाल का क्या? मात्र भूकंप नोंध करने के अलावा और कोई कार्य नही चल रहा है।

वर्षो से जो भूकंप मापन केन्द्र चलने का दावा करते हुए राज्य व केन्द्र के अधिकारी ‘‘आलबेल’’ का दावा करते रहे वे केन्द्र आज भंगार से पड़े हैं। इतना ही नही, एक मशीन अंदर रखी  हुई इस केन्द्र से भूकंप मापन की पूरी जानकारी मात्र गांधीनगर, गुजरात पहुचायी जाती है और उसे न तो स्थानीय घाटी की जनता ना ही राज्य के अधिकारी, मंत्री देख रहे हैं। इतनी असंवेदना तथा अवैधानिकता के चलते प्रकृति तो चेतावनी दे ही रही है। उसे दुर्लक्षित करने का नतीजा कौन सी ‘सुनामी’ आने तक हम छुपाएंगे?

महाराष्ट्र के शहादा तहसील, नंदुरबार जिले में, सावर्डे गांव में जहां फाल्ट लाईन होने के कारण ही भूकंपमापन केन्द्र वर्षो से बना हुआ है लेकिन कुछ सालों से वहां बैठने वाले अधिकारी कर्मचारी को छुटटी देकर गुजरात ने पूरी जानकारी और कारोबार अपने हाथ ले रखा है, वही अब कुछ दिन पहले 3.5 रिक्टर स्केल का भूकंप नोंध किया गया। जो 3 याने खतरे की स्तर से उपर हैं। लेकिन क्या इससे थोड़े कम मात्रा के किन्तु 3 से अधिक के  कितने धक्के बैठे है; पिछले सालों का रिकार्ड क्या है, उसका संदेश क्या है, यह किसी ने जाना है? क्या मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के शासनकर्ताओं ने गुजरात से पूरी घाटी की, यहां के  की, संपत्ति की सुरक्षा की कोई चर्चा या चिंता कभी की है?

आज देशभर, कभी केरल में तो कभी असम में, कभी ओक्खी से, कभी सुनामी से प्रकृति दस्तक दे रही है। क्या हम सब नर्मदा में ऐसे ही किसी आघोरी संकट आने की राह देखते रहेंगे?

चेतन साल्वे, लतिका राजपूत(9423908123), मेधा पाटकर




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