प्रेस विज्ञप्ति
किसान, मजदूर, मछुआरों, पशुपालकों को चाहिए कर्जमुक्ति व उपज का सही दामः
विशेष सम्मेलन में दो विधेयक पारित
8 जनवरी 2018, बड़वानी :: कल (7 जनवरी), बडवानी में नर्मदा घाटी के किसानों, मजदूरों, मछुआरों, धनगर/पशुपालक जिनकी प्रकृति पर आजीविका है ऐसे सभी सैकडो मेहनतकशों ने विशेष सम्मेलन सफल किया। यह सम्मेलन ‘‘ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय ‘‘ तथा ‘‘ नर्मदा बचाओ आंदोलन ‘‘ के द्वारा आयोजित था। सम्मेलन का उददेश्य, देशभर के 187 संगठनों द्वारा मिलकर आयोजित की गयी जनसंसद में (20-21नवंबर के रोज) पारित किये दो विधेयकों (कानूनों के मसौदों) पर परामर्श और चर्चा-बहस-सलाहसूचन के लिए था। सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष श्री जसविंदर सिंह जी भोपाल से पधारे थे।
सम्मेलन में मेधा पाटकर जी ने एक, संपूर्ण ऋण मुक्ति का, दो, उपज का सही (लागत के 1.5 गुना) दाम पर दो कानूनी मसौदे पेश किये। इन मसौदों में, कृषि और किसान की परिभाषा व्यापक करते हुए, जमीन मालिक किसान के साथ भूमिहीन किसान यानि खेत-मजदूर, मछुआरे, वनोपज पर निर्भर आदिवासी आदि सभी शामिल किये गये। इन सभी पर आज आत्महत्या करने की स्थिति व मजबूरी थोपी गई है। म.प्र. में हर चार घण्टे में6 किसान आत्महत्या कर रहे है तो इसे रोकने के लिए संपूर्ण कर्जमुक्ति व खेती घाटे का सौदा न रहकर हर उपज-फसलों, फलों, सब्जियों, वनोपजों के लिए लागत के डेढ गुना दाम/ कीमत मिलनी जरूरी है। दोनो के लिए केन्द्र व राज्य स्तरीय आयोग गठित करने का व आयोग के द्वारा कर्ज न हो, कर्ज वापसी मानवीय अधिकार में है। विश्वास रखते, अत्याचार के बिना हो, आपदाग्रस्त क्षेत्र व परिस्थिति में हर एक किसान की शिकायत ना हो इस तरह विशेष आदेश किए जाए, यह महत्वपूर्ण है।
मसौदों (विधेयकों) पर चर्चा करते हुए किसानों ने कई मुददे मंजूर करते हुए अपने सुझाव भी दिये।
रणवीर तोमर जी ने कहा, न्यूनतम मूल्य नहीं सही मूल्य ही होना चाहिए। मंडियों व व्यापार में खरीदी-बिक्री की प्रणाली में बुनियादी सुधार चाहिये। बडवानी में आज तक कपास की मंडी लगायी नहीं जाती। व्यापारियों के हित में ही भावांतर योजना व्यापारियों को लाभ मिला है, किसानों को न्यूनतम मूल्य से भी कम कीमत मिली है। फसल बीमा में भी लूट हो रही है, यह हकीकत वाहिद भाई ने विशद की।
धुरजी पाटीदार ने विस्तृत ब्यौरा देकर बताया गेहूँ की कीमत प्रति एकड़ 15,000/ आती है, लेकिन दाम उससे कम मिलता है तो आत्महत्या कैसे रूकेगी?
बडवानी जैसे जिले में भी आदिवासी किसान भी आत्महत्या करने लगे हैं, उसकी हकीकत भीलखेडा कृष्णा भाई के उदाहरण के साथ कैलाश अवास्या ने प्रस्तुत की। बैंकों, सोसायटियों या निजी साहूकारों से ‘‘ चक्रवाति ब्याज ‘‘ पर आपत्ति उठाते हुए सनोवर मंसूरी ने कहा कि महिला किसानों को विशेष सहुलत और सहयोग देना जरूरी है। भागीरथ धनगर ने पशुपालन का हिसाब रखा और दूध की कीमत भी लागत डेढ गुना हो यह आग्रह किया।
देवराम कनेरा ने देशभर चल रहे किसानों के आंदोलनों की हकीकत विशद करके कहा कि जबरन् भूअधिग्रहण के साथ, घाटे का सौदा बना कर खेत-जमीन बेचने के लिए किसानों को मजबूर किया जा रहा है। यह सब कंपनियों के पक्ष में हो रहा है इसलिए संघर्ष के द्वारा ही ये दो कानून पारित करवाने पड़ेंगे। चुनावी राजनीति को चुनौती देनी होगी।
कॉ. जसविंदरसिंह ने म.प्र. की स्थिति विशद करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में, विधानसभा में पेश किये आंकडों के अनुसार किसानों की हजारों में आत्महत्याएं हो रही है लेकिन खेतमजदूरों की आत्महत्याए, किसानों से भी ज्यादा संख्या में है। मोदी शासन के 3 साल और भूतपूर्व शासन मिलकर, 4 सालों में ही कंपनियों का 2.5 लाख करोड रू की टैक्स में छूट दी गई है तो मध्यप्रदेश में किसानों का 2.5 लाख करोड रू का कर्जा माफ करने दिक्कत क्या है? किसानों को बख्श ने के बदले फसल बीमा के नाम पर 2 लाख 663 करोड रू कंपनियों ने पाये लेकिन 2 प्रतिशत रकम का भुगतान किया गया। आपदा नुकसान की भरपाई नहीं की गई। खुद मुख्यमंत्रीजी के क्षेत्र में मात्र 36 रू की चेक किसान को देकर अवमानना की गई। ग्राम सेमल्दा की सरस्वती बहन ने कहा कि मजदूरों की मजदूरी भी डेढ गुना बढानी होगी। किसानों- मजदूरों ने एक साथ संघर्ष करना जरूरी है। नर्मदा में नदी सूखने पर मछुआरों की आजीविका समाप्त हुई यह बया करके मोहीपुरा गांव के मछुआरों ने कहा, शासन नाहि मछली के भाव में मनमानी पर निगरानी करती है, न हि जलाशय और मत्स्य व्यसाय का विकास।
मंशाराम भाई, देवेन्द्र तोमर, वाहिद भाई, विजय भाई ने भी वक्तव्य दिया।
मेधा पाटकर ने कहा, कर्जा तो किसानों का हम पर है। हम राष्ट्रीय आंदोलन से ही जीतेंगे।
18 जनवरी को राज्यस्तरीय संगोष्ठी होगी, दो विधेयकों पर अधिवक्ता विशेषज्ञ, राष्ट्रीय किसान नेता भी किसानों के साथ शामिल होकर चर्चा करेगे।
राहुल यादव कमला यादव मदन अलावे सुरेश पाटीदार
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