‘नर्मदा अपडेट’’ बड़वानी, 20.05.2017
संभागायुक्त की घोषणा वास्तव में अनदेखा करती हैं, लेकिन उसी से प्रत्यक्ष स्थिति भी उजागर होती है।
इन्दौर संभागयुक्त श्री संजय दुबेजी बडवानी में सरदार सरोवर के पुनर्वास कार्यों की समीक्षा करने आये थे तब कई गावों के विस्थापित प्रतिनिधी उन्हें मिलकर सच हकीकत बताने उनके पास पहुॅचे तो उन्होने किसान-मजूदर, युवा बुजुर्ग विस्थापित महिला, पुरूषों से एक षब्द न उच्चारते, बात करने से इंकार करते हुए गाडीयाॅ आगे चला दी। साथ में आयुक्त, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, जिलाधिकारी, बडवानी व अन्य अधिकारी भी होते हुए किसी ने भी संवेदना नहीं दिखाई।
युवा विस्थापित आगे बढकर गाडी रोकने लगे तो जिलाअधिकारी के आदेष से बेरहमी से लाठीयों पुलिसों ने चलायी। बुक्कामार भी दिया। पुलिसों का ऐसा हमला बरसों से कभी नहीं देखा, आंदोलनकारियों ने तो अभी संवादहीनता के साथ ऐसी हिंसा क्यों अपना रही है सरकार? स्वाभाविक है, वे परेषान है कि कैसे साबित करे झूठेष्षपथ पत्र उन्हीं के?
पता चला कि बडवानी तहसील में लाठीचार्ज की घटना के पहले आयुक्त व अधिकारी आंवली व केषरपुरा की वसाहटों में हर जगह मात्र 5 मिनट तक रूके, फोटो निकाले और चल पडे थे। जाहिर है कि वे मात्र दिखावासा करके चले जाना ही चाहते थे।
प्रत्यक्ष में वसाहटों की स्थिति, आज का जायजा और आगे की योजना लोगों के साथ बाचीत तक ही करते संजय दुबे जी समीक्षा करके गये है, वह कितनी सही, कितनी गलत?
इंदौर जाते ही दुबेजी ने जो प्रेस वक्तव्य जाहिर किया है वह सब कुछ उजागर करने वाला है। इस वक्तव्य में उन्होने एक प्रकार से पुनर्वास स्थलों के निर्माण कार्य में रही सभी त्रुटियों सामने लायी है। जिन सेवाओं की व्यवस्था पुनर्वास स्थलों पर करने की आष्वासन आज यह दे रहे है, वे सुविधाएं पुनर्वास स्थलों पर उपलब्ध नहीं है। यही तो विस्थापित भी कह रहे है। इन सुविधाओं में पेयजल, रोड, आंगनवाडी, उचित मूल्य दुकान, स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, पषुओं के लिए व्यवस्था आदि ष्षामिल है।
यह निष्चित होता है कि इनकी उपलब्धि आज तक न होते हुए भी 1994 से बनते आये 88 पुनर्वास स्थलों को म.प्र. षासन और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण परिपूर्ण बताते आयी और विस्थापितों को ही न बसने के लिए दोषी ठहराते आयी। आज भी इन और अन्य सुविधाओं पर कार्यष्षुरू तक नहीं हुआ है। अभी अभी कहीं नाली निर्माण, तो कही डब्ल्यू.बी.एम.का निर्माण के टेंडर्स घोषित हुए है। इनमें कार्य का समयकाल 90 दिनों का बताया है। तो क्या ये सारी सुविधाएं मात्र दो महिनों में पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगी? कभी नहीं।
मनित,भोपाल और आय आय टी, मुंबई की ओर से झा आयोग के लिए किये गये पुनर्वास स्थलों के निर्माण की विस्तृत जांच रिपोर्ट के बाद, पुनर्वास विभाग, एनवीडीए के 40 इंजिनीयर्स अधिकारियों को नौकरी से हटाये जाने के बाद भी कोई कार्य पिछले 8 सालों में षुरू नहीं किया गया।
अब जो कार्य षुरू होगा, वह करोडो रू. का होते पूरा कब और कैसा होगा और हजारों परिवार वहां अपने घर बांध कर स्थान्तरित कब होंगे, इसका जवाब विभागायुक्त से नहीं मिल रहा है।
संजय दुबेजी कबूली दे रहे हैं कि लोगों के स्थलांतर के साथ पेड काटे जाएंगे। याने अभी तक पेड काटे न होते हुए भी गलत जानकारी पर्यावरणीय उपदल की मिटिंगो में देते रहे अधिकारी।
विभागायुक्त के अनुसार 176 गांव डूब प्रभावित क्षेत्रों में आ रहे है। याने 192 गाव और 1 नगर में से बेक-वाॅटर लेव्हल कम करे जिन 15946 परिवारों को डूब के बाहर किया गया, उनके 16 गावों को अप्रभावित घोषित किया, उन्हें छोड रही है सरकार। प्रत्यक्ष में ये परिवार और गांव भी डूब के बाहर नहीं हो सकते, यह धरातल की स्थिति बताती है।
रेणुपंत, आयुक्त एनवीडीए ने संजय दुबेजी के ही कार्यालय में हुई बैठक से यह घोषणा की थी कि 112 गावों के 8000 लोग प्रभावित होंगे तो जिलाधिकारी बडवानी जिले में ही 57 गांवों के 8000 परिवार और धार जिले में 76 गावों में 6132 परिवारों को विस्थापित करने की बात जाहीर की है। अब फिर 9000 लोगो के प्रभावित होने की तथा हटाएं जाने की बात कहां से आयी? इस आंकडे के खेल का जवाब देना होगा।
एक बात विषेष षासन की ओर से जाहिर हो रही है, जो है पुलिस बल की। पर्याप्त पुलिस बल का उपयोग या प्रयोग क्या होगा, यह भी विभागायुक्त बता दे तो अच्छा होगा।
सर्वोच्च अदालत के आदेष अनुसार विभागायुक्त राजस्व नहीं, षिकायत निवारण प्राधिकरण से एनव्हीडीए को 8 मई तक आदेष देकर पुनर्वास स्थलों का निर्माण कार्य पूरा करना था। यह सब उल्लंघित करते हुए बांध का कार्य अंतिम उंचाई तक आगे बढाने, पानी भरने की जो घोषणा हो रही है, वह कोर्ट की भी अवमानना है।
लक्ष्मीनाराण पाटीदार, कमला यादव पेमा भीलाला राहुल यादव
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