पर्यावरणीय सह-समूह की अगली बैठक में बाँध के गेट्स बंद ना करने के लिए जनसंगठनों व पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने लिखा पत्र
– कहा गैरकानूनी होगा गेट्स बंद करना
 

चाईबासा, झारखंड | अप्रैल 30, 2017: नर्मदा घाटी में 31 साल से चल रहे संघर्ष में एक बार फिर देखना है कि क्या सरकार सभी मुद्दों को दरकिनार कर बाँध के गेट्स बंद करने को पर्यावरणीय सह समूह से मंजूरी लेने में सफल होगी? या पर्यावरणीय सह समूह पिछले साल हुए 10 वर्षों बाद हुए बैठक में लिए निर्णय का आंकलन पहले करेगी और फिर उभरते पर्यावरणीय मुद्दे और गेट्स बंद करने से होने वाले नुकसान को देखकर गेट्स बंद करने पर फैसला ना लेते हुए पर्यावरण, नर्मदा घाटी के लोगों के हक, और पूरी सभ्यता को सर्वोपरि रखेगी।

लगभग 9 महीने बाद, कल 01 मई, 2017 को फिर से पर्यावरणीय सह समूह की बैठक होने वाली है, जिसमें बाँध के गेट्स बंद करने के ऊपर सरकार के दवाब में आकर फैसला आ सकता है। सरकार पहले भी ऐसा कोशिश करती आयी है, लेकिन हर बार लोगों के दवाब और विशेषज्ञों की राय के आगे झुकना पड़ा। कुछ इसी कोशिश में आज फिर से संघर्षों के प्रतिनिधि, विशेषज्ञ, व अन्य पर्यावरण सह समूह से आग्रह कर रहे है अपने पहले किये निर्णयों को अमल में लाने के लिए, उसकी जाँच और फिर आगे के मुद्दों पर चर्चा या फैसला लेने के लिए।

पत्र
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श्रीमान अध्यक्ष व सभी सदस्य
‘पर्यावरण सह समूह’
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय,
3 मंजिल, पृथ्वी विंग, इंदिरा पर्यावरण भवन,
नई दिल्ली 110003

विषय – नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध की समस्याएं (सन्दर्भ – 1 मई को या अन्य तिथि को होने वाली पर्यावरण सह-समूह की बैठक हेतु)।

मान्यवर,
नर्मदा पर सरदार सरोवर बाँध के पर्यावरण से जुड़े प्रश्नों पर हम चिंतित हैं। सरदार सरोवर में आपके समूह को पहले नियमानुसार हर पाँच मीटर की डूब से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान करके अगले 5 मीटर की ऊंचाई बढाने के स्वीकृति देनी होती थी। किन्तु ऐसा नहीं हुआ है।

ज्ञातव्य है कि 2014 में बाँध की ऊंचाई को 17 मीटर बढाने का एकतरफा निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से लिया गया था। पर्यावरण सह-समूह की स्वीकृति बगैर व जानकारी दिए बिना, यह पूरी तरह गलत था।

लगभग 10 वर्षों बाद, 29 अगस्त 2016 को आपके समूह की बैठक हुई। इस बैठक में भी जो निर्णय लिए गए उनका पालन नहीं हुआ है।
–    जल संग्रहण क्षेत्र उपचार योजना (CAT Plan) पर बहुत ही कम काम हुआ है।
–    क्षेत्रीय सर्वे भी आप की ओर से नहीं हुआ है।
–    पिछले वर्ष गर्मी के दौरान सरदार सरोवर में पूरी तरह नर्मदा के पानी को रोक दिया गया, जिसका नतीजा हुआ कि समुद्र का पानी 20यों किलोमीटर सूखी नदी में घुस गया। इसके दीर्घकालीन बुरे असर आयेंगे। पूरा क्षेत्र ही नमकीन पानी के बुरे असर से ग्रस्त हो रहा हैं। इसका कोई अध्ययन नहीं हुआ है।

10 वर्षों बाद 29 बाद 2016 में आपके समूह की बैठक हुई फिर 9 महीने बाद पुनः यह बैठक की जा रही है।
हमारी आपसे मांग है कि
–    आपका समूह पर्यावरण से जुड़े तमाम मुद्दों की गहराई से जाँच परख करे।
–    क्षेत्रीय सर्वे भी तुरंत किया जाए।
–    अभी तक के तमाम छूटे हुए कार्यों को पूरा करवाना, आपकी पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए।
–    उसके बाद अगली बैठकों में कार्य पूर्ण होने की जाँच की जाए।

जल्दबाजी में बाँध के गेट्स बंद करने का निर्णय/अनुमति देना एक घाटी की हत्या के साथ, देश के पर्यावरण और लोगों के साथ एतिहासिक गलती होगी।

आपसे अपेक्षा में देश के जनसंगठन व पर्यावरण कार्यकर्ता
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आप सभी सामजिक कार्यकर्ताओं और लोकहित में सोचने वाले नागरिकों से आग्रह हैं कि आप सभी अपनी तरफ से कॉल (माननीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे – 9868181806, 011-24695132, 011-24695136, 
(Fax):011-24695329) मेसेज, ईमेल (Hardik Shah (PS to MoS) – [email protected], Ajay Narayan Jha (Secretary) – secy-moef.nic.in, Shri Lakhwinder Singh, IFS (Regional Office, MP) –[email protected]) या पत्र लिखकर पर्यावरण सह-समूह को बाँध के गेट्स बंद ना करने के लिए आग्रह करे ताकि पर्यावरण व लोगों के हितों की रक्षा हो सके और सैकड़ों गाँव और एक शहर को डूब से बचाया जा सके। पूरी नर्मदा घाटी की सभ्यता खतरे में हैं, इस समय आपका थोड़ा समय और सहयोग अमूल्य होगा।

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय 

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