03 / 11 / 2017
सच्चाई नर्मदा की नर्मदा घाटी के सैकड़ों विस्थापित करेंगे पोलखोल भ्रष्टाचार व अत्याचार युक्त मध्यप्रदेश की!
भोपाल, 3 नवम्बर 2017 : आज नर्मदा घाटी के अलिराजपुर, बडवानी, धार, खरगोन जिले के गावं-गावं के, सरदार सरोवर से प्रभावित होते जा रहे सैकड़ों लोग भोपाल पधारे हैं | पीढ़ियों से नर्मदा किनारे बसे आदिवासी, किसान, दलित, मजदूर, मछुआरे, कुम्हार, नाविक , छोटे व्यापारी, कारीगर, व्यवसायिक भी नर्मदा और उसकी पर्यावरणीय व्यवस्था, व प्राक्रतिक संसाधनों पर अपना अधिकार जताते हुए 32 सालों से संघर्षरत है, न केवल अपना अधिकार, अपना जीवन बल्कि नर्मदा की जान भी बचाने के लिए!
दोहरी चाल !
एक ओर नर्मदा के नाम पर राजनीति, नर्मदा सेवा यात्रा पर करीबन 1600 करोड़ रु. खर्च कर, आगे बड़ाई जा रही हैं तो दूसरी और नर्मदा घाटी के सच्चे नर्मदा भक्तों को, माँ नर्मदा के बेटे -बेटियों को उजाड़ कर नर्मदा की लूट बढायी जा रही है| एक ओर नर्मदा घाटी में पेड़-पौधे लगाने का कार्यक्रम बड़ा-चढ़ाकर प्रचारित होता है परन्तु 660 करोड़ खर्चने के बाद भी, 10 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं रहते हैं, न हीं किसानो को पौधा रोपण के नाम पर घोषित रकम का भुगतान किया जाता है | नर्मदा पर बने हर बांध पर लाखों पेड़ काटकर या डुबोकर ख़त्म किये जा रहे हैं | एक ओर नर्मदा को प्रदूषण से बचाने का ऐलान होता है, दूसरी और नर्मदा किनारे हजारों मेगावाट के ताप विद्युत गृह (थर्मल पावर प्लांट्स) स्थापित किये जा रहे है| एक ओर नर्मदा से विकास की घोषणाए, दूसरी और नर्मदा को तालाबों में परिवर्तित करते हुए, उसकी बलि दी जाती हैं| एक ओर दावा है नर्मदा से सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने का, प्रत्यक्ष में नर्मदा का पानी, घाटी की भूमि अधिकाधिक मात्रा में कम्पनियों की और बड़े शहरों की ओर मोड़कर, खेती-किसानी और गावं-कस्बे बर्बाद किये जा रहे है | एक ओर ‘नर्मदा संस्कृति रक्षा’ का बोलबाला है तो दूसरी ओर नर्मदा घाटी के हजारों मंदिर, मस्जिद, घाटों का एक-एक बांध में डूबना, उजड़ना जारी है |
भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार !
नर्मदा भक्ति का दावा है मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, शासन-प्रशासन का; जब की नर्मदा के रेत की, पानी और भूमि की कार्पोरेट लूट ही नहीं, शासक-प्रशासक और उनके ठेकेदार अभूत भ्रष्टाचार में लिप्त है | भ्रष्टाचार पुनर्वास में अंधाधुंध भू-खण्ड बटवारा व भुगतान मे होकर सरदार सरोवर के विस्थापितों के लिए बनी आर्थिक पूंजी की लूट हो रही है |
- जून से सितम्बर के बीच सत्याग्रही आन्दोलन के चलते मध्यप्रदेश शासन ने जो घोषणाए की, वह कुल 900 करोड़ की | इसमें से बड़ी राशि बर्बाद हो गयी, अस्थाई पुनर्वास के नाम पर, हजारों टिन शेड्स, भोजन शिविर, और मवेशियों के लिए चारो का ठेका देने में, जिसका लाभ कोई विस्थापितों ने नहीं लिया,करोड़ो रुपये की राशि सत्ताधारी भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओ ने ठेकेदारी में हड़प ली और अब टिन शेड्स हटाने के लिए भी तैयार है| बड़वानी जिले के ठेके की हकीकत निम्नानुसार है :
- ओम खण्डेलवाल :- भाजपा जिलाध्यक्ष, बडवानी
- संजय महाजन,खरगोन :- भाजपा कार्यकर्त्ता, (सांसद शुभाष पटेल से जुड़ाव)
- महेश शर्मा :- भाजपा कार्यकर्त्ता, (धार कलेक्टर भूतपूर्व कलेक्टर,बडवानी श्रीमान शुक्ल जी से जुड़ाव )
- अजय कानूनगो अंजड/बड़वानी:- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं भाजपा के कार्यकर्त्ता
धार, खरगोन में इसी तरह और अलिराजपुर में भोजन शिविर पर बंदरबाट हुई है |
- घर प्लाट आवंटन में दलालों के जत्थे द्वारा ही अधिकतर कार्य हो रहा है | प्लाँट में अदल बदल या प्लाँट का आवंटन , प्लाँट में परिवर्तन सब कुछ नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कर्मचारी, आधिकारी और दलाल मिल जुलकर कर रहे है | कई 30 सालों से गावं के बाहर रहते आये परिवारों को प्लाँट मिले है और कई सारे सही विस्थापित वंचित है |इस सब में व्यस्त शासक-प्रशासक, पुनर्वास स्थल पर कानूनन सुविधा निर्माण एवं घर प्लाटों का समतलीकरण एवं रजिस्ट्री करने के लिए तैयार नहीं है | लाखों की लेन देन इसमें हो रही है, जिसके लिए झा आयोग ने अपने रिपोर्ट में अधिकारी-दलालों को दोषी ठहराया है |
- मध्यप्रदेश शासन से घोषित रुपये 5 लाख 80 हजार के पैकेज के बटवारे में अभूत घोटाला हो रहा है | राज्य शासन ने 8000 अपात्र परिवारों सहित 8200 पात्र परिवारों को भी यह पैकेज देने की घोषणा की | ‘हर पट्टेधारी को मकान के लिए पैकेज देने की बात’ मुख्यमंत्री ने कही, लेकिन प्रत्यक्ष में कई निकष लगाने में, दो किश्तों में राशि देने में तथा पात्र अपात्र की सूची घोषित न करने से भ्रष्टाचारी गठजोड़ भ्रम और लूट फ़ैलाने में लगे है, अधिकारियों की सहभागिता से| नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के साथ राजस्व विभाग भी जुड़ा है | शासन की तिजौरी खाली होकर भी गावों का पुनर्वास इस स्थिति में संभव नहीं है |
- नर्मदा जलाशयों से लाभ किसका ? हानि किसकी? जबकि नर्मदा के विस्थापितों को पुनर्बसाहटों पर पीने का पानी तक नर्मदा से नहीं दे रही है शासन, तब वही पानी ओंकारेश्वर और सरदार सरोवर से उठाकर कम्पनियों को दे रही है | ओंकारेश्वर से बड़ी बड़ी पाइपलाइनों से पानी औद्योगिक क्षेत्रों को जा रहा है, इसमें शामिल है, नर्मदा-गंभीर योजना, नर्मदा क्षिप्रा योजना, नर्मदा काली सिन्ध योजना और नर्मदा मही योजना जिसके द्वारा अल्ट्राटेक सीमेंट से लेकर, दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे के तहत आ रहे औद्योगिक क्षेत्र व पूंजीनिवेश क्षेत्र पानी से लबालब होंगे, लेकिन नहरें बनकर भी किसानो को न्यूनतम पानी मिलेगा, जरूरत होते हुए भी नही मिल पायेगा जैसा की इस साल सुखाग्रस्त होकर भी उन्हें भुगतना पड़ा |
- सरदार सरोवर भी गुजरात के इंडस्ट्रीज को 5 करोड़ 41 लाख लिटर्स पानी हर रोज दिया जाएगा | सूखाग्रस्त कच्छ सौराष्ट का और छोर पर रहे राजस्थान का हिस्सा आज से भी कम कम होता जाएगा | पहाडी और निमाड़ी गावं, अतिउपजाऊ खेती धार्मिक स्थल, लाखों पेड़ों की सरदार सरोवर में आहुति देकर ये होगा यज्ञ |
बांध के नीचेवास में नर्मदा का ही अन्त?
हर बड़े बांध के ऊपरवास में डूब और बर्बादी के साथ-साथ नीचेवास की जनता और प्रक्रति किस तरह प्रभावित होती है, यह सरदार सरोवर से जाहिर है| नर्मदा बांध के नीचे बहना बन्द हो चुका है या तो 139 मीटर से अधिक पानी बाड़ आकर चड़ने से या सरदार सरोवर के गेट खोलने से ही जीवित हो सकेगी यह कभी होगा, अन्यथा नही |
आज समुन्द्र 45 किलोमीटर तक अन्दर आकर नर्मदा को निगल चुका है बांध के नीचे गावं-खेती, शहर, उद्योग पानी के बिना तरस रहे है | तीर्थ क्षेत्र, बिना यात्रियों के उजड़ चुके है, जैसे कबीरवड| पर्यटन, व्यापार ख़त्म हो चुका है और मत्स्य व्यवसाय भी| भाड़भूत जैसे 15 हजार जनसँख्या के मछुआरों के गावं ने प्रधानमंत्री को काले झंडे दिखाए है |
- नर्मदा का पानी उपलब्ध न होने के साथ खारा बनकर भूजल-पेयजल और सिंचाई भी प्रभावित हो चुकी है |
पुनर्वास के बिना डूब, टूट और लूट |
- पीढियाँ पुराने गाँवों में आज भी बसे है सरदार सरोवर के हजारों विस्थापित परिवार| सैकड़ो घर बांध रहे है तो भी जबरन बच्चो की शालाए, कुछ मंदिर हटाने वाली शासन भली भाति जानती है की आज भी जीवित है गावं|
- कई पहाड़ी और निमाड़ी गावं में पुरस्कार प्राप्त SDM कुक्षी, SDM धार, बड़वानी जैसे अधिकारीयों ने जबरन दबाव में घर तुडवाये, ख़ास गरीबों के, जिन्हें या तो घर प्लाँट नहीं मिला या मकान निर्माण के लिए राशि नया पैकेज| पुनर्बसाहटो पर पानी, रास्ते इत्यादि में बड़ी लुट होकर 40 इंजीनियर्स छुट गए, भले नौकरी से भी हटाये क्यों न गए हो | लेकिन आज भी कम गुणवता के कार्य में दोषी है, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, PWD और राजस्व विभाग जिन्हें राज्य शासन और सत्ताधारी राजनेताओ का आशीर्वाद है |
- नर्मदा का पानी विस्थापितों को न पीने के लिए न मकान निर्माण के लिए दिया जा रहा है लेकिन जलाशयों पर परिवहन और पर्यटन से अम्बानी कब्ज़ा करने के लिए मंजूरियों के साथ तैयार है |
- नर्मदा की लूट के साथ शासन ने घर तोड़ने की छूट लेकर दलित आदिवासी छोटे किसान, मजदूर मछुआरों के करीबन 200 घर तुड़वाए, इस साल| मात्र सशक्त संघर्ष से और प्रक्रति की देन से बचे हैं, बाकी हजारों परिवार | लेकिन सवाल है क्या इन लुटेरों से, भ्रष्टाचारियो से नर्मदा बचेगी ? अगर पूरी घाटी की जनता, सभी नर्मदा के सच्चे भक्त और नदियों के संरक्षक जनसामान्य,(नहीं फर्जी सद्गुरु जुग्गी वासुदेव ! ) इसके लिए संघर्ष और निर्माण पर उतरेंगे तो ही !
भागीरथ धनगर, राहुल यादव, राजकुमार सिन्हा, मेधा पाटकर
सुमनबाई कहार, गीता पाटीदार, कमला यादव
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