नर्मदा और किसानी बचाओ जंग का आज छठा दिन !
पैदल निकल पड़ी है जंग भोपाल के लिए, गाँव गाँव में नुक्कड़
सभाएं करते हुए!
4 जून को होगी भोपाल के नीलम पार्क में जन अदालत, सुनवाई
करेंगे भूतपूर्व न्यायाधीश गोपाला गौड़ा और अभय ठिप्से
प्रेस विज्ञप्ति: 3 जून 2018: नर्मदा और किसानी बचाओ जंग में सम्मिलित महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और गुजरात के किसान, मज़दूर, मछुवारे, आदिवासी बहन-भाई कल सुबह सीहोर के शहर से गुज़रते हुए, पैदल चल करीबन 14 किलोमीटर दूरी काट कर फंदा गांव में पहुचे। जीवनशाला के बच्चे, किसान मज़दूरों के दर्द सुनने वाले सेंचुरी के नवीन मिश्र जी एवं तथा आदिवासी गीतों को पेश करने वाले चेतन साडवे के और कैलाश अवस्या ने पूरे रास्ते रंग लाया।
रास्ते मे ग्राम पचाना और थुना गांव के प्रतुनिधि किसानों से बात करके उनका समर्थन पाया। थुना के किसानों ने बताया कि हमने जिस पार्टी को वोट दिया उसने भी हमको फसाया। न ही सही रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है न ही भावन्तर का पैसा। अभी अभी कुछ पैसा डाला गया है जो कि निश्चित रूप से चुनावी हित सम्बन्ध का हिस्सा है। देवास से साथ आये इंद्रजीत भाई सीहोर के आयोजन में रहे। आम आदमी पार्टी के युवा साथी, श्री के.पी सिंह बघेल, विश्वास भाई, अरुण श्रीवास्तव जी भी उपस्थित थे |
शाम को हुई फंदा में बड़ी आम सभा में स्थानीय नेता राकेश वर्मा जी ने फंदा से लगी खुलासा नदी की सफाई के नाम पर कुछ करोड़ रुपय का समारोह और खर्च व्यर्थ जाने की बात कही। वैसे ही राजू राजपूत जी ने भोपाल तालाब के कैचमेंट के नाम पर हज़ारो परिवारों की ज़मीन का हस्तांतरण पर लगाई रोक अन्यायपूर्ण बता कर अनुरोध किया कि उसके खिलाफ की जंग में हम सब भी शामिल हो जाये। जसविंदर सिंह अखिल भारतीय किसान सभा, संजय मं.गो, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, राजेंद्र कोठरी, प्रगतिशील लेखक, डी पी धाकड़ जी आदि ने फंदा के किसान और जंग में शामिल सभी किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश भर के किसानों का आक्रोश व्यर्थ नही जाएगा। किसानों ने मंदसौर जैसे आंदोलन में शहादत भी दी है और देश की 125 करोड़ जनता को खिलाने का काम भी जारी रखा। राजेन्द्र कोठारी ने प्रकृति आधारित जीवन प्रणाली के सिवाए आज की व्यवस्था में बदलाव नही हो सकता, इस बात की गहराई समझते हुए किसानों को सलाह दिया कि वह अर्थव्यवस्था को पलटने के लिए संघर्ष तथा निर्माण का मार्ग स्वीकारें। राकेश दिवान, रोली बहन, रघुराज सिंह और आदि मान्यवरों ने आकर अपना समर्थन दिया और नर्मदा से 32 सालों से निकले व्यापक मुद्दों की तथा जीवट सत्याग्रही तथ्य की प्रशंसा की। भोपाल के कई सारे साथी 4 जून को जन अदालत में शामिल होंगे यह बात रखो गयी। मेधा पाटकर ने कहा मध्यप्रदेश शासन जल और नदियों के साथ तो खिलवाड़ कर ही रही है साथ ही उनसे जुड़े लोग, संस्कृति, आजीविका को भी नष्ट कर रही है | नर्मदा में पानी न होने पर भी उसके बटवारे कि बात मध्यप्रदेश शासन द्वारा करना उनकी नासमझी दर्शाती है |
आज नर्मदा और किसानी बचाओ जंग फंदा से निकल कर बीच गाँव में नुक्कड़ सभाए करते हुए बैरागढ़ पहुचेंगे जहाँ एक आम सभा का आयोजन किया गया अभय ठिप्से जी है | आज रात का मुकाम यही होगा और सुबह यह जंग पहुंचेगी भोपाल जहाँ होगी जन अदालत, किसान, मजदूर, मछुवारे, केवठ, और सरदार सरोवर बाँध विस्थापितों कि सुनवाई करेंगे भूतपूर्व न्यायाधीश गोपाला गौड़ा जी और अभय ठिप्से जी |
देवीसिंह तोमर, श्याम भादाने, मुकेश भगोरिया, केसर बहन, लतिका राजपूत, बच्चू भाई, श्यामा बहन, पुनिया वासवे, महेंद्र मंडलोई , भागीराम
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