नर्मदा के विस्थापितों पर म.प्र. के कॉग्रेस विधायकों ने दी चुनौती का स्वागत

जनप्रतिनिधियों द्वारा विधानसभा में बहस का मौका नकारना एवम् गिरफ्तारी जनतंत्र विरोधी

सरदार सरोवर और विकास म.प्र. के परिप्रेक्ष्य में, इस पर बहस होनी जरूरी है। हम तैयार हैं, शासन क्यों नहीं?

 

बड़वानी, म. प्र. 26 जुलाई 2017:  म.प्र. विधानसभा में विपक्ष कांग्रेस के विधायकों द्वारा सरदार सरोवर के कारण आने वाली डूब और जबरन विस्थापन के खिलाफ आवाज उठायी गयी, यह बहुत महत्वपूर्ण है। न नर्मदा में, न देश मे जनतंत्र मानने वाली, मोदीजी व शिवराजसिंह चौहान की सरकारे कान और मुंह बंद करके बैठे नहीं, हमारी यही  अपेक्षा है। जो संवाद म.प्र. शासन ने स्वयं करना चाहिये था, लेकिन उन्होने गावों के नजदीक से सेवा यात्रा में गुजरते हुए भी नहीं किया, उसे राजनीतिक मंच पर होना आज भी जरूरी है। नर्मदा घाटी के जिन विधायकों ने अगुवाही की, उन्होने बहस की मांग करते हुए सभापति महोदय ने उसे ठुकराना, जनप्रतिनिधियों की अवमानना कहा  है। राज्यसभा में जब श्री दिग्विजससिंह जी, भूतपूर्व मुख्यमंत्री म.प्र., श्री डी. राजा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, श्री अलि अन्वरजी, जद (यू), शरद यादवजी आदि ने सवाल उठाया तब स्थगन प्रस्ताव नामंजूर करते हए भी सभापति ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव आने पर बहस के लिए समय मंजूर किया, तो म.प्र. विधानसभा में,इतनी बडी राज्य के लिए समस्या होते हुए भी क्यों नही?

 

म.प्र. के हित में, सरदार सरोवर से एक बूंद पानी पर अधिकार न होते हुए भी, हजारो (बाढ की स्थिति में40,000 तक) परिवारों को बिना पुनर्वास उखाडने की म.प्र. शासन की हिंसक योजना पर जनप्रतिनिधियो ने श्री अजयसिंह जी के नेतृत्व में, श्री सुरेन्द्रसिंह बघेल, श्री बालाबच्चन, श्री रमेश पटेल इत्यादि जनतांत्रिक मंच पर भी संघर्ष करने का हम स्वागत करते है।

 

विकास के नाम पर, गुजरात के सूखे को लक्ष्य में रखकर जिस महाकाय बांध में म.प्र. की अतिउपजाउ जमीन,भरेपूरे गांव, संस्कृति व प्रकृति की बलि देना कैसे मंजूर हो सकता है? जबकि राज्य को बिजली की जरूरत नहीं,यह कहकर शासकीय विद्युत घर बंद रखे है तो सरदार सरोवर से लाभ क्या आज ही राज्य के लिए जरूरी है?नहीं।

गुजरात में हाहाकार मचा है… ‘‘ पानी चाहिए तो लो। ‘‘ यह कहते हुए प्रकृति ने सवाल खडा किया है जल नियोजन पर। गुजरात में, सूखा क्षेत्र में जब तक भरपूर बरसने वाले पानी का सही नियोजन ही प्यास बुझाायेगा, सूखा मिटायेगा, नर्मदा घाटी की बलि देकर भरा पानी तो कोका कोला जैसी इंडस्ट्री को ही जाएगा। इस पर बहस करे शिवराजसिंह जी और शासन, विधानसभा में या बाहर भी, किसी निष्पक्ष मंच पर तो हम तैयार है। हमारा यही आहवान है।

राहुल यादव,  बालाराम यादव, पेमा भीलाला , मेधा पाटकर

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