बड़वानी, मध्य प्रदेश | 29 जून, 2017: आज राजघाट बडवानी में नर्मदा घाटी के विस्थापितों के द्वारा पेड़ों को बचाने का संकल्प लिया गया है, इसके साथ अन्य गांव जैसे पिछोडी, अवल्दा, जांगरवा, बगुद इत्यादि गांवों में आज कार्यक्रम किया गया था। सरदार सरोवर परियोजना में लाखों पेड-पौधे डूबायेगी या काटेगी सरकार, इस एक सवाल के साथ हर गांव के विस्थापितों के द्वारा हर गांव में एक संकल्प लिया गया है, कि पेड़ों को काटने से पहले हमारी बलि लेनी पड़ेगी सरकार को, उसके लिए हम तैयार है, क्या सरकार की तैयारी है इस चुनौती को स्वीकार करने की।
एक तरफ 2 जुलाई 2017 के रोज बडवानी जिले में 25 लाख पौधे लगाने की बात पर मीटींग कर रही है प्रशासन, परन्तु जो बडवानी जिले के लाखों स्थित पेड़ों को डूबायेगी सरकार उस पर जवाब नहीं दे रही। जो पेड़ अभी लगाये जायेगे उसका देख रेख कौन करेगा उसका पालन या निगरानी कैसे किया जायेगा वह कब बडे होगे उसकी कोई भी चिंता सरकार को नहीं है।
नर्मदा सेवा यात्रा के समय भी जहां सरदार सरोवर बांध से प्रभावित गांवो गांवो में वृक्ष लगाये वह आप सूख चुके है, उसकी कोई भी निगरानी नहीं की गई है, तो 2 जुलाई को जो लाखों पेड़ लगाए जायेंगे, उसका क्या होगा? उसकी भी कोई ठोस कार्य योजना सरकार के पास नहीं है। नर्मदा घाटी के लाखों पेड़ सैकडो साल पुराने भी है, उसको डूबायेगी या काटेगी सरकार, इसको बचाने का तो हम नर्मदा घाटी के विस्थापितों ने पहले से ही किया है और आगे बचाने का भी संकल्प आज ले रहे हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन भी वृक्ष रोपक्ष का समर्थन करता है, परन्तु जब लाखों पेड़ों को डूबाया या काटा जाएगा, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। क्या सरकार उसकी भरपाई कर सकती है? क्या जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय प्रभाव को होने से रोक पाएगी सरकार?
पेड़ बचाओ, जीवन बचाओ। सरकार लाखों पेडो को काटना बंद करो, पर्यावरण प्रभावित होंगे। पेड़ हमारे जीवन का हिस्सा है, जब तक उनमें जान है, हममें जान है। पेड़ हमारी शान है। ऐसे नारों के साथ एक संकल्प लिया गया है कि पेडो के बचाने के लिए हमारे जीवन का भी बलिदान देना होगा तो देंगे।
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