नर्मदा घाटी के किसान और सेंच्युरी मिल के उजाडे जा रहे श्रमिकों ने मिलकर उजागर की ‘‘ काली दिवाली ‘‘ !
प्रेस-नोट: दिनांक 18/10/2017 | बडवानी: ‘‘दिवाली पूंजीपतियों की, शासकों की, दिवालिया बने हम।” यह कहते हुए आज बडवानी, मध्यप्रदेश में किसानों एवम् श्रमिकों ने मिलकर मशाले जलायी । हम विस्थापित और देश के सभी किसान, मजदूर, मेहनतकश कैसे मनाये दिवाली? आपने हमारी खेती छीनी, हमारी नदी और गांवों की हत्या की। देशभर के किसानों को उपज का सही दाम नहीं, बीमा योजना के तहत् नुकसान की भरपाई नहीं, एमएसपी के इतना भी दाम नहीं, ऐसी स्थिति में आत्महत्या करने के लिए देश के 3 लाख किसानों को मजबूर किया और दिवाली काली कर दी। नर्मदा घाटी में रास्ते डूबे हैं, सर्प, मगरमच्छ कही उभरे हैं तो किनारे कई गावों में मृत मछली के ढेर पडे हैं। बडवानी, कुक्षी तहसील के गावों के जिन मुहल्लों का पुनर्वास पूरा न होने पर लोग वहीं बसे हैं, वहां की डी.पी. याने ट्रान्सफाॅर्मर्स भी हटाये हैं तो अंधेरा छाया हुआ है। इसलिये किसानों मजदूरों तथा मत्स्यव्यवसाय का हक मांगने वाले मछुआरों ने भी शहीद स्तंभ (बडवानी) पर आजादी मन्दसौर से लेकर नर्मदा तक के आंदोलन के शहीदों के साथ किसान, आदिवासी, दलित व अन्य जनआंदोलनों के शहीदों को श्रध्दांजली अर्पित की। नर्मदा घाटी का संघर्ष हर दृष्टी से किसानी बचाने का संघर्ष है, यह कहकर घोषित किया कि कर्जमुक्ति और सही दाम के मुददे पर हो रही 20 नवंबर, 2017 के रोज दिल्ली के रामलीला मैदान पर हो रही किसानी जन संसद में वे शामिल होंगे।
सेच्युरी मिलस विस्थापित किये जा रहे सैकडो श्रमिक भी हुए शामिल।
आज की ‘‘काली दिवाली” की विशेषता यह रही कि नर्मदा घाटी के किसान, महिला, पुरूषों के साथ सेंच्युरी मिल वेयरइट नाम की कंपनी को बेचने की साजिश के खिलाफ लडने वाले वहां के 1200 श्रमिक भाई शामिल हुए। जिन्होंने विरोध में खरगोन जिले में, मुंबई आगरा रोड पर धरना- सत्याग्रह शुरू किया है, ऐसे सैंकडो श्रमिक आज नर्मदा घाटी के निवासीयों के साथ जुडे। पहले खेती से फिर रोजी देने वाले कारखानों से उजाडना विस्थापन ही लाता है और अन्यायपूर्ण होता है। आज श्रमिकों को भी बेरहमी से बेचने वाले, अन्यायपूर्ण होता है। आज श्रमिको को भी बेरहमी से बेचने वाले, उनका जीने का अधिकार छीन रहे है तो हम दिवाली नहीं मनाएंगे, संघर्ष की मशाल ही जलाएंगे।
उनकी 25 साल पुरानी सेंच्युरी या और सेंच्युरी डेनिम की फॅक्टरी कुमार मंगलम बिडला ने वेयरइट कंपनी को उन्हें पा पूछे, न बताए बेची कैसे? हमारे मजदूर संगठन का सवाल है, क्या हमें रोजी रोटी से हटाना संवैधानिक है? नहीं। श्रमआयुक्त ने भी उन्हें न्याय नहीं दिया तो संघर्ष का रास्ता अपनाना पडा है।
बडवानी के झण्डा चैक में मेधा पाटकर, सनोवर बी देवराम कनेरा, कैलाश अवास्या, जगदीश पटेल, पेमा भीलाला, राहुल यादव तथा कमला यादव ने बात रखी। श्रमिकों की ओर से राजकुमार दुबे, संजय चैहान व राजेश यादव ने संघर्ष का संकल्प घोषित किया।
सैकडो बहन-भाईयों का पैदाल मार्चः- किसान-मजदूर बचाने उजाला लाने।
शाम 4.30 बजे चिखल्दा से निकल पडे सैंकडो बहन भाई और खेडा, खापरखेडा, कडमाल, गेहलगांव से जुडते गये सैंकड़ो लोग। दिवाली में यह पैदल मार्च नर्मदा और घाटी का विनाश करने की शासन की तैयारी और आजतक हुई बरबादी तथा भ्रष्टाचार के भी खिलाफ है। निसरपुर के सैकडों लोगों ने पदयात्रीयों का स्वागत किया और मशाले जलाकर शासनकर्ताओं ने लाए अंधेरे में स्वयं की ताकत पर उजाला लाने का निर्धार व्यक्त किया।
पवन यादव राहुल यादव रामेश्वर भीलाला केशर बाई
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