सेंचुरी मिल के 1200 मजदूरों के साथ नर्मदा घाटी के बाँध प्रभावित ।
लड़ेंगे बेरोजगारी और गैर-बराबरी के खिलाफ एक साथ ।।

प्रेस विज्ञप्ति | 20 अक्तूबर, 2017

मुंबई आगरा एक्सप्रेस हाईवे पर, ग्राम मगरखेड़ी और निमरानी के बीच जिला खरगोन में सेंचुरी (यार्न व डेनिम) मिल के 1200 मजदूरों के संघर्ष के मंच पर नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर का हजारों की तादाद में लोगों ने स्वागत किया। स्थानीय निवासी इन मजदूरों के 25 सालों के रोजगार के साक्षी है, जब एकमात्र आजीविका का साधन छीनने पर मजदूरों ने सेंचुरी मिल के मिल के द्वार पर अपना अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है। आज श्रमिकों के परिवारजन, सैकड़ों महिलाएँ व बच्चों ने भी संघर्ष में शामिल होते हुए संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया।

हकीकत यह है कि सेंचुरी यार्न व डेनिम जींस की यह बेहतरीन उत्पादन की फैक्ट्री में 1200 श्रमिक कार्यरत है और पिछले कुछ सालों से अचानक इनके कागजात ‘फर्जी’ घोषित करके लगभग 300 मजदूरों को नौकरी से हटाया गया है। यह अन्याय है, कहकर मजदूरों ने आवाज उठाया, जो चार मजदूर संगठन इसमें है, उन्होंने समझौता किया लेकिन आज तक उस पर भी अमल न होने से ये परिवार अभी तक न्याय से वंचित हैं।

अब पिछले कुछ महीनों से अचानक सेंचुरी को वेयरइट नामक कंपनी को बेचने की खबर चल रही है। वेयरइट नामक कंपनी को बेचेंगे तो हम नहीं रहना चाहेंगे, यह एक राय से तय करने वाले श्रमिकों का कहना है कि वेयरइट कंपनी कई जगह मजदूरों को झाँसा देकर, बिना कोई मुआवजा, कंपनी से निकालती आयी है। इसलिए उनके साथ काम करना यानि खुद व आजीविका को संकट में डालने या यूँ समझे अपने आप को बेच देना है, यह हम नहीं चाहते है। हमें बिरला के साथ काम करना मंजूर है।

बुनियादी बात यह भी है कि बिरला समूह ने 17/08/2017 के दिन देर रात 2.30 बजे शासकीय अधिकारी राजनीतिक नेता, मजदूर संगठनों की उपस्थिति में यह वक्तव्य निकाला कि ‘सेंचुरी मिल अपना कारोबार सुचारू रूप से चलाएगी’……… ‘अगर लीज या बिक्री पर कंपनी किसी और को सौंपी गयी, तो मजदूरो को VRS (स्वैच्छिक निवृत्ती योजना) का लाभ दिया जाएगा।’ इसके मात्र 5 दिन बाद वेयरइट को सेंचुरी मिल बेचीं गयी लेकिन VRS नकार दिया गया। यह बिक्री मजदूरों के साथ साफ़-साफ़ धोखा है, जिससे आहत हो सभी एकजुट होकर अपनी लड़ाई संगठित रूप से आगे ले जायेंगे, ऐसा संकल्प लिया। नर्मदा बचाओ आन्दोलन से कमला यादव, मुकेश भगोरिया, मेधा पाटकर व नर्मदा घाटी के अन्य बाँध प्रभावितों ने भी इस अन्याय के खिलाफ मजदूरों के संघर्ष का समर्थन किया। संजय चौहान, राजकुमार दुबे, व मजदूर संगठनों के कुछ नेताओं ने अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए संघर्ष को अपना समर्थन प्रकट किया।

बड़ी संख्या में उपस्थित महिला शक्ति को सलाम करते हुए मेधाजी ने कहा, आज देश में बड़ी कंपनियों की दादागिरी का आधार है राजनितिक आशीर्वाद। बिरला समूह ने फैक्ट्री को गैरकानूनी प्रक्रिया द्वारा बेच दी है। वेयरइट कंपनी मजदूरों को स्वीकार है या नहीं, यह तो पूछा ही नहीं गया। श्रमायुक्त के समक्ष दाखिल शिकायत पर भी निर्णय नहीं हुआ तो मिल पर वेयरइट का बैनर केसे टांगा गया? मजदूरों के संघर्ष को कानूनी और मैदानी स्तर पर लड़ेंगे। कंपनी के बाहर सैकड़ों संघर्षशील साथियों का धरना अभी भी जारी है।

 

 

भगवती बहन, धर्मेन्द्र कनेरा, शिवपाल सिंह राठौर
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