सुप्रीम कोर्ट, इंदौर उच्च न्यायालय में 8 फरवरी, 2017 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुपालन की निगरानी पर जारी कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं करेगी ।
नई दिल्ली, 8 अगस्त: आज सुप्रीम कोर्ट में भागीरथ धनगर व अन्य Vs मध्य प्रदेश सरकार दायर SLP याचिका सुनवाई के लिए आयी | इस मामले पर श्री फली नरीमन, संजय पारिख और प्रशांत भूषण ने बात रखी । सुप्रीम कोर्ट के 08 फरवरी के आदेश अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सभी विस्थापितों के पुनर्वास के लिए आदेश दिए थे, उसके साथ आदेश में 31 जुलाई तक पुनर्वास मिलने के बाद विस्थापितों को घाटी खाली करने का भी आदेश था नहीं तो जबरन बेदखली हो सकती है | पूरे आदेश के अनुसार पुनर्वास का काम सभसे महत्वपूर्ण था और पुनर्वास स्थल पर सभी कार्य पूरे हो जाने चाहिए थे जो सुप्रीम कोर्ट के 2000, 2005 व 2017 के फैसलों के अनुसार नहीं हो पाने पर, कुछ विस्थापितों ने 602 लोगों के साथ इंदौर उच्च न्यायालय में रिट याचिका डाली थी |
उच्च न्यायालय द्वारा जारी अंतरिम आदेश के खिलाफ विस्थापितों ने SLP याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली जो उच्च न्यायालय के 19 जून, 13 जुलाई के अंतरिम आदेश के खिलाफ था | 13 जुलाई के आदेश में उच्च न्यायालय ने सरकार से सभी पुनर्वास स्थलों व विस्थापितों के पुनर्वास पर विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए अगली सुनवाई 01 अगस्त के लिए तय की थी |
आज, इस स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाही में हस्तक्षेप न करने का फैसला किया क्योंकि यह अंतरिम आदेशों के खिलाफ था और उच्च न्यायालय पहले से ही पुनर्वास की निगरानी कर रहा है। तथ्य यह है कि जब याचिका पर उच्च न्यायालय में 01.08.2017 को सुनवाई के लिए आया था, तो उच्च न्यायालय ने इसे 10.08.2017 को स्थगित कर दिया था, और जैसा कि सुप्रीम कोर्ट में SLP आज 08.08.2017 के दिन सूचीबद्ध था | अब उच्च न्यायलय पुनर्वास व पुनर्वास स्थलों की निगरानी जारी रखेगा जहां याचिका की सुनवाई 10.08.2017 को होगी |
नर्मदा बचाओ आंदोलन को पूरा विश्वास है कि न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों द्वारा न्याय किया जाएगा।
कल रविवार को उपवास करने वाले लोगों पर हिंसक हमले और गिरफ्तारी के बाद, आज तक इंदौर अस्पताल में मेधा पाटकर और धर्मेंद्र भाई, पुष्पा बहन और धार अस्पताल में भर्ती साथियों से संपर्क होना अभी भी बाकी है। नर्मदा बचाओ आन्दोलन सरकार द्वारा संपर्क स्थापित न करने देने की कड़ी निंदा करता है और तत्काल संपर्क होने देने की मांग करता है। अभी अस्पताल में अनिश्चितकालीन उपवास चल रहा है और चिखल्दा में भी 10 नए लोग पुराने 2 साथी जो 27 जुलाई से अनवरत उपवास पर है के साथ उपवास शुरू कर चुके हैं।
जब मेधा जी और अन्य लोगों को रिहा किया जाएगा और उनके सहयोगियों को पूर्ण संपर्क करने की अनुमति मिलती है, तो सामूहिक चर्चा के बाद अनिश्चितकालीन उपवास जारी रखने पर फैसला लिया जाएगा।
जब तक नर्मदा घाटी में 40,000 परिवारों को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक हमारी कानूनी और मैदानी लड़ाई अनवरत जारी रहेगी।
राहुल यादव, रोहित सिंह ठाकुर, कमला यादव, हिमशी सिंह
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