सरदार सरोवर संबंधी पर्यावरणीय कार्यपूर्ती की जांच जरूरी।

नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के पर्यावरणीय उपदल की बैठक में निर्णय।

 

आज, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के पर्यावरणीय उपदल की बैठक इंदिरा पर्यावरण भवन में यानि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में हुई। जिसमें चार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात राज्य व केंद्र शासन के उच्च अधिकारी तथा केंद्र शासन व प्राधिकरण के अधिकारीउपस्थित थे। कुल करीबन 20 शासकीय व गैरशासकीय सदस्य तथा आमंत्रितों ने मिलकर विविध पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा की। 6साल बाद हुई इस बैठक में 2010 की बैठकों के मिनिट्स तथा नया अजेंडा भी रखा गया।

सरदार सरोवर को सशर्त पर्यावरणीय मंजूरी देते वक्त जून 1987 में डाली गई शर्तों की पूर्ति के मूल्यांकन पर बैठक में चर्चा हुई। इसके तहत जलग्रहण क्षेत्र उपचार, लाभक्षेत्र विकास, स्वास्थ्य पर असर, मत्स्य संपदा का विकास, भूकंप मापन व प्रतिबंधन,बांध के नीचे वास के क्षेत्र पर असर इन मुद्दों पर बहस हुई। राज्य सरकारों ने अपने कार्य पूर्ति के दावे सामने रखे। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की ओर से श्री अफरोझ अहमद ने परिपूर्ण व सतत निगरानी की गई है, यह कहकर कुछ उदाहरण पेश किए। अशासकीय सदस्यों ने 6 साल में नहीं हुई निगरानी एवं जाँच की जरूरत की बात उठाई। आज की धरातल की स्थिति समझना भी जरूरी बताया।

केंद्रीय मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में हुई इस चर्चा का निष्कर्ष यह निकला कि आखिर पर्यावरणीय उपदल की प्रक्रिया के अनुसार प्रत्यक्ष स्थिति की निष्पक्ष जाँच करनी होगी। एक गैरशासकीय सदस्य, पर्यावरणविद् शेखर सिंह ने कुछ मुद्दों पर पत्र प्रस्तुत करके पिछली बैठकों की मिनिट्स पर मंजूरी जतायी।

आनेवाले एक महीने में निष्पक्ष जांच के मुद्दें एवं प्रक्रिया तय हो कर पर्यावरणीय शर्तपूर्ती तथा कार्यपूर्ती के बाबत फिर चर्चा होगी। तब तक बांध के कार्य को आगे ले जाने की मंजूरी की बात मौकूफ रखी गई।

– मधुरेश कुमार, कैलाश अवास्या, कमला यादव, दिनेश तडवी, जीकुभाई तडवी

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