Press Release | Narmada Bachao Andolan | August 21, 2017

 

नर्मदा घाटी के गाँवगाँव से लिखी गई प्रधानमंत्री मोदी को चिठ्ठीमेधा पाटकर व अन्य तीन को रिहा करने की मांग

 

मेधा पाटकर को जेल से रिहा ना होने देने की हो रही शासकीय साजिश,कोर्ट में नहीं पेश की गई केस डायरी

 

नर्मदा बचाओ आन्दोलन के पुनर्वास संबंधित याचिका में सुनवाई टलीफिर मिली तो सिर्फ एक और तारीख

 

जेल भरो रैली में सरकार को दी चुनौती पर नर्मदा घाटी बरकरारपुनर्वास के किसी भी कार्य में नहीं दिया सहयोग

 

बडवानीमध्य प्रदेश | 21 अगस्त 2017: आज नर्मदा घाटी के गाँव-गाँव ने देश के प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी को चिठ्ठी लिख मेधा पाटकर, संतू, विजय, धुरजी की गैरकानूनी गिरफ़्तारी पर उन्हें बिना किसी शर्त रिहा करने की मांग की। प्रत्येक गाँव में चिठ्ठी लिख प्रधानमंत्री को अपने-अपने गाँव का चित्र बताते हुए पुनर्वास की स्थिति का विवरण दिया और साथ ही “क्या बिना पुनर्वास नर्मदा घाटी के लाखों लोगों को डुबाया जायेगा?”, “क्या विकास की कीमत लाखों लोगों की जिंदगी से लगायी जाएगी?”, “क्या लाखों की संख्या में जो पेड़ और मवेशी डूबेंगे, वो आपको मंजूर होगा?”, ऐसे कुछ सवाल करते हुए सभी गाँव के लोगों ने प्रधानमंत्री से यह निवेदन किया कि 32 सालों से चल रहे नर्मदा बचाओ आन्दोलन और उसकी माँगों को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द मध्य प्रदेश सरकार को नर्मदा घाटी के 192 गाँव और 1 नगर के लाखों लोगों का NWDT Awardऔर राज्य की पुनर्वास नीति के तहत पूर्ण और आदर्श पुनर्वास करें।

 

मेधा पाटकर को जेल से रिहा ना होने देने की सरकार की लगातार कोशिश चल रही है। जिस तरह मेधा पाटकर की 9 अगस्त को इंदौर के बॉम्बे अस्पताल से छुट्टी मिलने पर नर्मदा घाटी की तरह बढ़ने पर पीथमपुर बायपास पर ही गैरकानूनी ढंग से हुई गिरफ़्तारी, 11 अगस्त को कुक्षी कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंस में तकनीकी बाधाओं के नाम पर सुनवाई अगले दिन के लिए बढ़ाना, 16 अगस्त को कुक्षी कोर्ट में बेल देने पर डूब प्रभावित क्षेत्र में ना जाने का बांड भरने की शर्त रखना और आज, उच्च न्यायालय की सुनवाई में केस डायरी पेश ना करके तारीख आगे बढ़वाने की शासकीय साज़िश से सरकार की बिना पुनर्वास नर्मदा घाटी के लाखों लोगों को डूबाने की मंशा स्पष्ट होती है।

 

19 अगस्त 2017 को लगभग 5 हज़ार लोगों ने कुक्षी में एस.डी.एम कार्यालय तक रैली निकाल, अपना ज्ञापन सौंप कर सरकार को यह साफ़ सन्देश दिया कि मेधा पाटकर, संतू,धुरजी और विजय की गैरकानूनी गिरफ्तारी हुई है और उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाये। साथ ही 2500 अन्य नर्मदा बचाओ आन्दोलन के कार्यकर्ताओं पर जो गलत व झूठे मुक़दमे लगाये हैं उन्हें सरकार वापस ले नहीं तो यहाँ जितने भी उपस्थित महिला,पुरुष व बच्चे हैं उन्हें भी सरकार जेल में डाल दे। साथ ही साथ यह भी सन्देश दिया गया कि अगर जल्द से जल्द ऊपर कथित व्यक्तियों की रिहाई नहीं होती है तो घाटी का एक भी डूब प्रभावित सरकार की पुनर्वास के काम में सहयोग नहीं देगा। तब से लेकर आज तक जब कड्माल में पटवारी के साथ अन्य अधिकारी पट्टा आबंटन की प्रक्रिया के लिए पहुंचे लेकिन गाँव के लोगों ने अपनी मांग को सामने रखते हुए प्रक्रिया में भाग लेने से मना कर दिया। सेमल्दा और पिछोड़ी में भी कल पुनर्वास संबंधित सर्वे के लिए आये अधिकारियों को अपनी मांग ना पूरा होने की बात रखते हुए वापस भेज दिया गया।

 

आज 21 अगस्त 2017 को इंदौर उच्च न्यायालय में मेधा पाटकर की धारा 365 के केस में सुनवाई होनी थी। लेकिन अधिवक्ता जनरल ऑफिस से 18 अगस्त को, थाने में, 22 अगस्त को उच्च न्यायालय में मेधा पाटकर की केस डायरी (केस नंबर 9029/17)पेश करने संबंधित गलत सूचना दी गयी। अधिवक्ता जनरल ऑफिस के इस मेसेज को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने सुबह 10:30 बजे कोर्ट के सामने यह बात रखी और सुनवाई करने की अपील की जिस पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने इस मामले पर दोपहर में सुनवाई रखने की बात रखते हुए सरकारी वकील को मेधा पाटकर की थाने से केस डायरी मंगवाने को कहा। लेकिन शाम के 4 बजे तक भी सरकारी वकील द्वारा थाने में केस डायरी मंगवाने संबंधित कोई सूचना नहीं दी गई। अगली तारीख की सूचना कल शाम तक कोर्ट द्वारा दी जाएगी। इससे साफ़ पता चलता है कि शासन कैसे-कैसे हथकंडे अपना रहा है मेधा पाटकर को हिरासत में रखने के लिए।

 

21 अगस्त 2017 को उच्च न्यायालय के सामने होने वाली नर्मदा बचाओ आन्दोलन की सुनवाई में भी अगली सुनवाई की तारीख 7 सितम्बर दे दी गई है। क्या विकास की कीमत लाखों लोगों की जिंदगी से लगायी जा सकती है? क्या देश का कानून सच में अँधा है? क्या इंसाफ की मांग करना भी अपराध है? क्या नर्मदा घाटी की संस्कृति, लाखों लोगों की ज़िन्दगी, सदियों से बसे घर, खेत खलियान, लाखों पेड़ और मवेशी, मंदिर-मस्जिद, पुरातत्व महत्व को इतनी आसानी से डूबाया जा सकता है?

 

 

भागीरथ धनगरदेवेन तोमरसनोबर बीकैलाश यादवसुर्भान भाईरोहित ठाकुरकमला यादवरणवीर भाई

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