मेधा पाटकर और अन्य अनशनकारियों की गिरफ़्तारी और उसके बाद का घटनाक्रम
7 जुलाई 2017 को सुबह धार के कलेक्टर, श्रीमन शुक्ल और एस पी के साथ आये और बताया कि मुख्यमंत्री को मेधा जी और अन्य अनशनकारियों की चिंता है । इसलिए आप अनशन ख़त्म करें । सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा करना चाहती है । सरकार से अनुमति लेकर यह प्रस्ताव रख रहा हूँ । इसके बाद आन्दोलन के प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव पर विचार कर तय किया कि सरकार बांध के गेट खुले रखने, सर्वोच्च न्यायालय में सही एफिडेविट देने और चर्चा हेतु अधिकार संपन्न समिति का गठन करने को तैयार है तो ही अनशन ख़त्म करने पर विचार किया जा सकेगा ।
कलेक्टर ने 2 बार फ़ोन पर बातचीत की जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा को तैयार है, तथा चर्चा की तारीख आन्दोलन सुझाये। लेकिन बगैर पुनर्वास के डूब नहीं लाने, पुनर्वास की वास्तविक स्थिति पर सर्वोच्च न्यायालय में एफिडेविट देने के सम्बन्ध में कोई आश्वासन नहीं दिया। साथ ही चर्चा हेतु किसी अधिकृत अधिकार संपन्न समिति के गठन पर भी कोई आश्वासन नहीं दिया। इससे स्पष्ट हुआ कि सरकार की रूचि गैरकानूनी डूब को रोकने की नहीं है । वह सिर्फ चर्चा के नाम पर लोगों को गुमराह करना चाहती है । कलेक्टर को दिये जवाब में आन्दोलन ने कहा कि यदि सरकार ने नर्मदा घाटी को बिना पुनर्वास डूबाने का निर्णय ले ही लिया है तो यह चर्चा कभी भी हो सकती है। उस चर्चा का अनशन से कोई सम्बन्ध नहीं है। हाँ सरकार चर्चा करना चाहती है तो अनशन जारी रहते हुए भी चर्चा प्रारंभ की जा सकती है, आन्दोलन हर चर्चा के लिए तैयार है। आन्दोलनकारियों ने स्पष्ट किया कि सरकार उनके स्वास्थ्य की चिंता करने के बजाय घाटी के उन किसान, आदिवासी, केवट-कहार, कुम्हार, पशुपालक और मजदूरों की चिंता करे जिन्हें बिना उचित पुनर्वास के डुबाने जा रही है।
शाम करीब 6 बजे 12 दिन से भूखे अनशनकारियों को गिरफ्तार करने के लिए तीन हजार आबादी वाले चिखल्दा गाँव में करीब 2000 की संख्या में पुलिस को भेजा गया। अहिंसा में विश्वास करने वाले निहत्थे आन्दोलनकारियों में आतंक पैदा करने के लिए पुलिस को हेलमेट और बुलेट प्रूफ जैकेट से लेस कर इस प्रकार भेजा गया मानो वे किसी युद्ध क्षेत्र में जा रहे हों।
पुलिस को आन्दोलनकारियों के अहिंसक एवं कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने पुलिस के सामने खड़े होकर उसे अनशनकारियों तक पहुचने से रोकने का प्रयास किया। प्रभावितों की मानव दीवार के सामने करीब 40 गज की दूरी तय करने में 2 हजार पुलिस को 40 मिनट का समय लग गया।
पुलिस ने इस दौरान निहत्थे ग्रामीणों से पाशविक व्यवहार करते हुए लाठियों से प्रहार किया और पुलिस उन लाठियों में कीलें लगाकर लेकर आई थी जो कि बहुत ही घृणित कृत्य है।
पुलिस का दूसरा घृणित कृत्य घायलों की चिकित्सा सुविधा रोकना था। मेधा पाटकर और अन्य 5 अनशनकारियों की गिरफ़्तारी के दौरान मारपीट और झूमा झटकी से मंच पर मौजूद 6 अनशनकारियों सहित करीब 50 ग्रामीण घायल हो गए । गिरफ़्तारी के दौरान शेष 6 अनशनकारियों से भी मारपीट की गयी। कुछ महिला पुलिस अनशनकारियों को लात मारते हुए उनके ऊपर खड़ी हो रहीं थीं।
इनमें से 6 अनशनकारियों और 11 ग्रामीणों को तुरंत चिकित्सा सहायता की जरूरत थी इसके लिए बड़वानी स्थित साईं हॉस्पिटल से सहायता मांगी गयी लेकिन पुलिस ने एम्बुलेंस को गाँव में नहीं आने दिया। सरकारी सुविधा हेतु 108 पर भी कई बार फोन किया गया लेकिन 108 एम्बुलेंस भी नहीं पहुची।
गंभीर घायल मुस्कान(15) और सुमनबाई (25) को आन्दोलन की जीप से बड़वानी के सरकारी अस्पताल पहुँचाया गया जहाँ से उन्हें इंदौर रेफर कर दिया गया है। बाद में करीब 11 बजे रात को स्थानीय टी आई, डॉक्टर और 3-4 पुलिस के साथ आये, इनके साथ 4 अनशनकारियों को अस्पताल भिजवाया गया।
अभी मेधा पाटकर को इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। रुकमनी पाटीदार और भगवती पाटीदार ने अपना अनशन 13 वें दिन भी चिखल्दा में ही जारी रखा है। शेष सभी अनशनकारी और अन्य दो गंभीर घायल धार के जिला चिकित्सालय में भर्ती हैं ।
घायलों की सूची –
- जया भागीरथ धनगर, चिखल्दा- 16
- प्रसाद शंकर बागुल, कार्ला महूक – 42
- पूनम कनोजिया, मुंबई -40
- मुस्कान अशफाक मंसूरी, चिखल्दा- 15
- रशीदा सिकंदर मंसूरी, चिखल्दा- 60
- प्रिया गोपाल यादव, चिखल्दा- 17
- दीपिका किशोर प्रजापत, चिखल्दा- 16
- नाजनीन सहाबुद्दीन मंसूरी, चिखल्दा- 17
- आरेफा अश्फाक मंसूरी, चिखल्दा- 14
- सारा अमजद मंसूरी, चिखल्दा- 16
- सानिया अमजद मंसूरी, चिखल्दा-15
- सब्बो रफीक मंसूरी, चिखल्दा-16
- मनीषा आशाराम वर्मा, चिखल्दा-17
- शिवानी सोम वर्मा, चिखल्दा-15
- आफरीन रफ़ीक, चिखल्दा- 15
- माफरीन शहाबुद्दीन, चिखल्दा-15
- पूजा परवीन, चिखल्दा-12
- वंदना पन्नालाल, चिखल्दा-28
- जमुना दशरथ, चिखल्दा-30
- नेहा, मुंबई
- महेंद्र राधेश्याम, खापरखेडा- 25
- नरेन्द्र पाटीदार, निसरपुर- 32
- देवेन्द्र पाटीदार, निसरपुर- 32 (सिर में चोट)
- रीका इकबाल, कसरावद ( दाहिने हाथ में चोट)
- नन्नू यादव नरेन्द्र यादव ( बांये हाथ पर और दाहिने कान में चोट)
- पावर पाटीदार, निसरपुर
- सुमनबाई, निसरपुर
- दीक्षा पाटीदार (बेहोश )
- लीलाबाई, निसरपुर
- शंकर
- सनवर मंसूरी, गोगावां
- नरेन्द्र चौहान, उरदना
- परवीन भारया, चिखल्दा- 28
- मूसा बाबर, चिखल्दा- 18
- कैलाश परमार आवली (हाथ में चोट)
- कलीमभाई, चिखल्दा- 51
- श्रीराम यादव, चिखल्दा- 60
- अफजल जाकीर, चिखल्दा-18
- जहीर, चिखल्दा-
- राहुल रेवाराम पाटीदार, निसरपुर- 28
- अमूल्य निधि
- मुस्कान असफाक, चिखल्दा- 18
- कृष्णा प्रजापति, खापरखेडा
- राहुल यादव, कसरावद
- अरुण यादव, चिखल्दा
- सदाशिव, कड़माल
- नौशाद, चिखल्दा-32
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