‘हफ पोस्ट इंडिया’ की चौकन्नी खबर से …

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने प्रधानमन्त्री को पत्र द्वारा रुकवाया, 2013 के नए पुनर्वास व् भू-अधिग्रहण कानून का अमल |

        पूँजीनिवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को बढाने, किसानों को अर्जित संपत्ति पर अधिकार न देने की मांग की |

        2013 के कानून की धारा 24 (2) के तहत किसानों को लाभ देने से मुख्यमंत्री जी ने इन्कार किया |

हफ पोस्ट इंडिया नाम के इ-पत्रिका में छपी खबर ने एक नयी पोलखोल की है| मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर किसानों को भूमि और संपत्ति पर अधिकार दिलाने वाले 2013 के भू-अधिग्रहण कानून के धारा 24 (2) के अमल को रुकवाया | यह बात मुख्यमंत्रीजी नें उन्हें लिखे पत्र से, जो सूचना अधिकार के तहत पाया है, जाहीर हुई है | उसमे उन्होंने विशेष कारण दिया कि किसान और सभी प्रभावितों को, भू-अर्जित सम्पत्ति पर उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय से अधिकार मिले तो ओंकारेश्वर और सरदार सरोवर जैसे परियोजनाएं रुक जाएँगी और पूंजीनिवेश (कम्पनिया) तथा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर गंभीर असर आएगा |

यह धक्कादायक हकीकत इसलिए भी आपत्तिजनक है क्योंकि एक ओर शिवराजसिंहजी मुख्यमंत्री और राजनेता के नाते जानते हैं कि 2013 का कानून यूपीए (कांग्रेस) सरकार ने पेश किया तब विरोधी दल होते हुए भाजपा ने भी साथ दिया था | बाम मोर्चा ने सक्रिय समर्थन दिया था और जन आंदोलनों ने उसकी बुनियाद खड़ी की थी | लेकिन केंद्र में सत्ता बदल के बाद भी सर्वोच्च न्यायालय के इस धारा को परिभाषित करके किसानों को हक़ दिलाने के करीबन 28 न्यायपूर्ण फैसलों के द्वारा किसानो और अन्य प्रभावितों को हक़ दिलाये हैं | बरसो पहले संपत्ति का भू-अधिग्रहण किया जाकर, कम मुआवजा और कमजोर पुनर्वास के आधार पर विस्थापित करना, परियोजनाओं को/ कम्पनियों को बरसों तक खटाई में रखना, पूरा नहीं कर पाना यह विस्थापितों पर अन्याय की हकीकत रही है इसी पर सुलझाव है, 2013 के क़ानून की धारा 24(2) जिसे रोकने या रुकवाने की या बदलने की अनुशंसा से शिवराजसिंह जी ने मध्य प्रदेश के ही नहीं, पूरे देश के किसान, मजदूर, सभी विस्थापितों / प्रभावितों को आहित किया है |

शिवराजसिंह जी ने मुख्यमंत्री होते हुए नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसले के आधार पर यह अनुशंसा करते वक्त, ट्रिब्यूनल के फैसले का गलत अर्थ और आधार प्रधानमंत्री के सामने रखा है | ट्रिब्यूनल  की एक धारा स्पष्ट कहती है कि बिना पुनर्वास किसी सरदार सरोवर प्रभावित की सम्पत्ति को डूबाया नहीं जा सकता | दूसरी आधार के तहत डूब के 6 महीने पहले पुनर्वास पूरा होना था | लेकिन यह नहीं हुआ | बिना पुनर्वास के आदिवासीयों, किसानों की जमीन – घर भी डूबते आये या डूब में धकेलने वाली उंचाई तक बाँध आगे बढ़ाये गए | शासन इसी कारण पांच साल या अधिक काल तक कब्ज़ा नहीं ले पायी तो इसके कारण किसानों-मजदूरों सभी का सम्पत्ति पर फिर से अधिकार इस धारा 24 (2) के तहत मिलना है | लेकिन ट्रिब्यूनल का अधूरा और गलत अर्थ लगाकर शासन कब्जा न लेने के लिए मजबूर था, यह कहकर, सरदार सरोवर और ओंकारेश्वर (यह जहाँ ट्रिब्यूनल का फैसला लागू भी नहीं है ) परियोजनाएं बचने के नाम पर, शिवराज सिंह जी के पत्र ने एक प्रकार से किसानों – आदिवासीयों, अन्य प्रभावितों का लाभ रुकवा दिया, जो कि अन्यायपूर्ण है |

इस 24(2) के धारा के तहत विस्थापितों को, नये क़ानून के तहत अधिक लाभ मिलता तो परियोजनाओं पर आंच भी नहीं आती लेकिन जैसा पत्र में मुख्यमंत्री जी ने स्वयं कहा, पूंजीपतियों का निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर असर न आये,  इसलिए इस धारा 24(2) को अध्यादेश लाकर, कोर्ट का कोई फैसला आने के पहले बदलने की सलाह शिवराजसिंह जी ने प्रधानमंत्री को दी | विस्थापितों पर बड़ा ही अन्याय किया |

जाहीर है कि तीन अध्यादेश, केंद्र के द्वारा, इन कानूनों को बदलने के लिए लाए गये लेकिन जनसंघर्ष, विशेषत: ‘भूमि अधिकार आन्दोलन’ के व्यापक मोर्चे द्वारा जागरण और चुनौती के कारण, वापस लेने पड़े थे | फिर भी शिवराजसिंह जी के इस हस्तक्षेप के कारण ही सर्वोच्च अदालत के स्पष्ट फैसलों के न्यायविरोधी क़ानून और बावजूद इस धारा का लाभ किसानों – प्रभावितों  का नहीं दिया है, मध्यप्रदेश शासन ने | अन्य राज्य सरकारों ने आदेश या क़ानून लाकर इसे दरकिनार करने की हर कोशिश की है और आखिर जस्टिस मदन लोकूर जी का फैसला और जस्टिस अरुण मिश्राजी का फैसला इसी एक ही मुद्दे पर भिन्न होने बाद भूतपूर्व न्यायाधीश दीपक मिश्रा के निर्णय से इसी मुद्दे को संवैधानिक खंडपीठ , सर्वोच्च न्यायालय में लटका दिया है |  नर्मदा घाटी के विस्थापितों के कई प्रकरण उच्च न्यायालय में प्रलंबित है और न्याय में देरी से भी अन्याय हो रहा है | सही न्यायपूर्ण व परिपूर्ण पुनर्वास के बिना विस्थापन, विस्थापित भुगतते हैं तो दोषी कौन ?

मध्यप्रदेश और देश के किसान – मजदूर, सभी प्रभावित, सोचिए जरुर |

कैलाश अवास्या            चेतन साल्वे        राहुल यादव          मेधा पाटकर

संपर्क : सौरव राजपूत :  8287509616