प्रेस विज्ञप्ति || कुक्षी                                                                                                                                                        दिनांक२३.११.२०१८

मध्य प्रदेश चुनाव, कुक्षी विधान सभा में सभी दलों के प्रत्याशी एक मंच पर : लोकमंच, 2018

 

  • भाजपा के घोषणा पत्र से ‘विस्थापित’ , ‘पुनर्वास’ जैसे शब्द गायब |
  • नर्मदा विस्थापितों के किसी भी समस्या का नहीं दे पाए भाजपा प्रत्याशी जवाब | बोले इन् मुद्दों के ऊपर मेरी जानकारी अभी बहुत कम हैं |
  •  कांग्रेस प्रत्याशी बोले हमेशा से रहा हूँ मैं आन्दोलन के साथ चाहे बात चिखल्दा की हो या इंदौर की |

 

22 नवंबर 2018 के रोज नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले ग्राम निसरपुर तहसील कुक्षी जिला धार में तीसरा लोकमंच का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में भी सेंकडो मतदाताओं भाई बहनों के समक्ष सभी पार्टी के प्रत्याशी हाजिर होकर उनके दल प्रतिनिधि भी हाजिर रहे और कड़े से कड़े सवाल जवाबो के बीच शान्तिपूर्णता से यह कार्यक्रम पूरा हुआ, जिससे की मतदाताओं का बहुत ही गंभीर और गहरा प्रबोधन तो हुआ ही पर घोषणापत्र की पोलखोल भी हो गयी। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी श्री रावत और आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी समोतीबहन ने कोई विशेष बात नहीं करते हुए मतदाताओं को प्रणाम किया, वोट माँगा और समोती बहनने वक्तव्य देने के बदले घोषणा पत्र पढ़ा जिसमे विस्थापितों की बात सम्मिलित रही, बेरोजगारों केभत्ते की बात रही, और किसानो को सम्मानपूर्ण कर्जमुक्ति और उपज के सही दाम की भी |

सही खडाजंगी हुई भाजपा के प्रत्याशी वीरेंद्र  बघेल और मतदाता नागरिको, जो आज श्रोता थे, के बीच में।  वीरेंद्र बघेल जी ने शुरुआत से ही पुनर्वास या नर्मदा का कोई ठोस मुद्दा न उठाते हुए इतनी ही बात कही कि मै आंदोलन के साथ ही बैठकर सबकुछ समझ लुंगा और फिर आपके ही विचार के अनुरूप पुनर्वास के मांगे और मुद्दे उठाऊंगा और हमारी पार्टी और मुख्यमंत्री को उन मुद्दों को मंजूर करवाने के लिए मजबूर करूँगा।  लेकिन लोगो का सवाल था की 15 साल से मुख्यमंत्री शिवराज सिंहजी ने आंदोलन के साथ बातचीत नहीं की और क्यों ? उन्होंने पुनर्वास सम्बन्धी जितने भी सवाल आये, गलत सर्वेक्षण का हो, डूब से बाहर हज़ारो को कर दिया उसका हो, जो डूब गए, भुकते, उनको भी पुनर्वास में जो लाभ मिलने थे, वह पात्रता अनुसार नहीं मिले,इसका हो या दुकानदारों को दुकान के लिए प्लाट के साथ-साथ आजीविका अनुदान जो अन्य भूमिहीन मजदूर कुम्हारों को भी नहीं मिला हे वह सवाल हो; उन्होंने साफ़ कहा की, में तो पहली कक्षा का विद्यार्थी बालक हूँ और व्यवस्था में जाने के बाद सब समझ लूंगा, आपके साथ बैठकर आपके ही आंदोलन के नेतृत्व के साथ मार्गदर्शन स्वीकारूँगा। उन्होंने प्रशंसा करते हुए आंदोलन की और मेधा पाटकरजी की, यह भी कहा मुझे आप एमएससी के स्तर के सवाल पूछ रहे है, तो में जवाब नहीं दे सकता, मैं साफ़ कहता हूँ कि मैं इसके लिए सक्षम नहीं हूँ। इस पर हंसी मजाक तो जरूर हुई, पर उनकी ईमानदारी भी बहुत कुछ कह गयी | भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र परजो सवाल उठे उसमे अहम् सवाल था की घोषणापत्र में विस्थापित या विस्थापन शब्द तक नहीं है,और इतनी बड़ी करोडो की नर्मदा सेवा यात्रा के बाद भी नर्मदा पर उठाये गए घोषणापत्र के मुद्देबहुत ही ऊपरी स्तर के है | जबकि कांग्रेस के घोषणापत्र में एक-डेढ़ पन्ने तक पूरे नर्मदा के सवाल, GRA ऑर्डर्स तक के और अन्य नर्मदा को बचाने के भी सम्मिलित किये गए है, ऐसा क्यों? वीरेंदर बघेलजी जवाब नहीं दे पाए। सवाल किसानो के मुद्दे पर हुए जो, कांग्रेस के घोषणापत्र पर भी टिपण्णी करते हुए उठाये गए। दो लाख कर्जमुक्ति क्यों, जबकि आपने संपूर्ण कर्जमुक्ति के लोकसभा में प्रस्तुत किये अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय के विधेयकों पर हस्ताक्षर कियेहैं, यह सवाल फिर आज भी उठा जैसे बड़वानी और मानवर में भी। सुर्रेंद्र सिंह यानि हनी बघेलजी जो अभी तक विधायक रहे है उन्होंने कहा की हम तो यह मध्य प्रदेश स्तर की बात लिख चुके हे घोषणापत्र में क्योंकि मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति का जायज़ा लेते हुए वही हमे योग्य लगा है,लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर संपूर्ण कर्जमुक्ति का कानून हमे भी मंजूर है और इसीलिए विरोधाभास नहीं है। किसान के उपज के सही दाम के मुद्दे पर, भावान्तर के मुद्दे पर. फसल बीमा के मुद्दे पर, जब बहस चली, तब कांग्रेस के घोषणापत्र में ग्राम सभा की सहमति से फसल बीमा दिया जाएगा और खेत को ही ईकाई मानकर दिया जाएगा, इस बात की सराहना हुई। सुरेंद्र सिंह बघेलजी ने फसल बीमा की लूट को लूट ही बताया और मेधा पाटकारजी ने बताया की महाराष्ट्र के आकलन बताते है की एक जिले में ही 77 करोड़ की मुनाफाखोरी कंपनी के पक्ष में हुई हैं। सवाल उठाने वाले बहुत सारे लोग थे लेकिन एक युवा व्यक्ति गणेश पाटीदार निसरपुर ने, जब यहसवाल उठाया कि आरएसएस पर बंधी डालने की बात कांग्रेस के घोषणापत्र में की गयी है, किस आधार पर ? बताइये। तब कुछ हंगामा सा हुआ, और उस सवाल को हम क्यों नहीं मंच पर उठा रहे है, यह पूछते हुए भाजपा के लोग उद्वेलित भी हो गए।  आमने सामने भिड़ने के बाद, १० मिनिट में शांति स्थापन की गयी, लेकिन जवाब में आखिर सुरेन्द्रसिंह बघेलजी ने स्पष्ट किया की आरएसएस की बहिष्कार की बात कोई भी घोषणापत्र में नहीं आयी है, और ये जो जानकारी हे वही बेबुनियाद है | यह भी कहा गया मंच पर से कि सरदार पटेल ने ही आरएसएस पर बहिष्कार की बात की थी | सुरेन्द्रसिंह बघेलजी ने जवाब में यह स्पष्ट किया की आरएसएस एक विचारधारा है, केवल एक संस्था नहीं है और वह जबरदस्ती बदलने का काम न तो कांग्रेस कर सकती है, न करना चाहती है। हम अपने रस्ते पर चलेंगे और देश के संविधान को ही आधार मानेंगे। पुनर्वास के मुद्दे पर अर्थात विस्थापितों के दर्दभरे सवाल आये। पहला सवाल देवकी बहन पाटीदार ने किया, तो दूसरा सवाल पांडे भाई ने किया, तीसरा सवाल मेहबूब भाई ने किया, निसरपुर के निचली बस्ती से लेकर, कडमाल – डहर और चिखल्दा जैसे गावों से विस्थापितों के भी सवाल थे किआखिर आदेश का पालन, सुप्रीम कोर्ट के और स्वयं मध्य प्रदेश शासन के, क्यों नहीं किया जाता है ? 5 लाख 80 हजार हर घर प्लाट मिले हुए विस्थापित को क्यों नहीं अनुदान दिया जाता है ?दुकानदार और सभी भूमिहीनो को आजीविका अनुदान, 1993 के एक्शन प्लान में लिखा गया था,फिर भी क्यों नहीं दिया जा रहा है ? और 60 लाख या 15 लाख की पात्रता नर्मदा आंदोलन के केस में सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर की तो भी उस पात्रता के लाभ देने से अभी तक सैकड़ों  परिवारों को क्यों वंचित रखा गया है ? तमाम मुद्दों पर वीरेन्द्र बघेलजी ने तो अभ्यास करने के बाद ही जवाब देनाजब कहा तो लोगो के मन में सवाल उठा की फिर इस बार  वो चुनाव ही क्यों लड़ रहे है ? क्यों न रुके अभ्यास करके चुनाव लड़ने के लिए अगली बार तक ? और जब सुरेंद्रसिंह बघेलजी ने कहा की मैं तो पिछले 5 सालो में आपके साथ विशेषत: 2017 में पुलिसो ने जब शिकंजा कसा  तब भी आप के साथ रहा, जो बात विस्थापितो ने मानी क्योंकि उनके ऊपर भी केसेस दाखिल की गयी है पुलिसो से, तो सवाल ये आया की सुरेंद्रसिंह बघेलजी ने भी विधानसभा में कितने सवाल और कौनसे मुद्दे उठाये विस्थापितों के, उन्होंने उनकी जंत्री तो खोल ही दी, पर साथ साथ ये कहा की वीरेंदर बघेलजी जो पूर्व में कांग्रेस में थे, तब भी उन्होंने कभी उनके साथ चिखल्दा तक या आंदोलन के स्थल पर आना मना कर दिया था । वीरेंदर बघेलजी के सामने यह भी सवाल उठाया गया कि आप पहले कांग्रेस में थे अब भाजपा के प्रत्याशी बन गए, क्या भरोसा करे की आप चुनने के बाद जो पार्टी सत्ता में आएगी उस पार्टी के साथ नहीं जायेंगे, दो-दो करोड़ की सम्पति का ब्यौरा दोनों प्रत्याशी ने सार्वजनिक कर दिया, तो रोडपति बने हुए विस्थापितों को यह भी चिंता है की इनमे से कौन अपने साथ रिश्ता बनाके रखेंगे और कौन न्याय दिलाएंगे। दोनो ने आश्वासन दिया की अगर हम जीत के आते है, तो आपके मुद्दे आपके आंदोलन के साथ ही मिलकर उठाएंगे न केवल समझ लेंगे और हमारे पार्टी ने अगर अलग रास्ता चुना तो उसका भी हम विरोध करेंगे, यह बात भी हनी बघेलजी ने ठोक  ठोक के कही।

लोकमंच का तीसरा कार्यक्रम कल समाप्त हुआ, चौथा कार्यक्रम जो नर्मदा के बड़ी कसरावद,ठीकरी और अन्य जगहों के विस्थापितों का खलघाट तक के विस्थापितों का, महेश्वर तहसील के विस्थापितों का, होने वाला है, उसके अर्जी पर कल बड़ी कसरावद के तमाम अधिकारीयो ने मंजूरी देन से मना कर दिया। जबकी बड़वानी, मनावर और कुक्षी विधानसभा क्षेत्र में मंजूरी दी गयी थी,तो उसी प्रकार का कार्यक्रम उसी संगठन से मांग करने पर भी क्यों रोका गया ? मध्य प्रदेश शासन से, इस बात पर मतदाता सोचेंगे जरूर, क्योंकि बड़ी कसरावद में भी कंपनियों का बोलबाला है,खरगोन जिला आता है, और साथ साथ सेंचुरी मिल्स का संघर्ष चोटी  पर पंहुचा है, जहाँ कांग्रेस और भाजपा दोनों की यूनियन्स ने वर्कर्स के खिलाफ भूमिका लेकर उन्हें मिल्स लेने और चलाने के लाभ से जो बिरला समूह ने, सेंचुरी कंपनी ने, प्रस्तावित  किया है, कोर्ट में, वह लाभ लेने से, एक प्रकार से, रोकने का काम चालू रखा है।  जबकि मुद्दा औद्योगिक न्यायाधिकरण के सामने है, तो चुनाव के पहले ही सेंचुरी के वर्कर्स और वहां के विस्थापित इस कार्यक्रम की मंजूरी मांग रहे है,और उनका यह भी कहना है की लोकमंच के आधार पर ही हमलोग मतदान करेंगे न शराब पर,न पैसे पर | और मिल्स के सन्दर्भ में अपनी अपनी भूमिका हर पार्टी प्रत्याशी और पार्टी से जुडी हुई श्रमिक संगठन यानि यूनियन ने भी इसके लिए स्पष्ट करना जरुरी है ताकि सभी सेंचुरी के वर्कर्स भी यह निर्णय ले पाए की वो किसके पक्ष में वोट डाले या नहीं डाले।

 

देवराम कनेरा       भागीरथ धनगर      विजय मरोला     सुरेश पाटीदार        पवन यादव           वाहिद मंसूरी           मंजू बहन        कमला यादव मेधा पाटकर

 

संपर्क – सौरव राजपूत – 8287509616