नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारी रजनीश वैश्य का झूठा बयान, संख्या के खेल में डूब प्रभावितों को भ्रमित कर रहे।
नर्मदा विस्थापितों के बारे में श्री रजनीश वैश्य जो एनवीडीए के अधिकारी है और नर्मदा प्राधिकरण की पूरी जिम्मेदारी है, उन्होंने आज एकदम गलत और झूठे वक्तव्य जारी किये है। उनका यह कहना कि अब मात्र लगभग 5000 परिवार बाकी हैं, जिन्हें की 31 जुलाई तक पुनर्वसित करना होगा, वो 31 जुलाई के दिन दिया गया एक झूठा वक्तव्य है। 25 मई को जारी हुआ गजट नोटीफिकेसन में बताया गया की 141 गाँव के 18386 परिवार आज डूब क्षेत्र में निवासरत है जो संख्या भी कम दिखाकर हजारों को बाहर किया गया और गजट नोटीफिकेसन में भी बहुत गलतियां थी यह नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने पहले ही पोल खोल करते हुए जाहिर किया। उन संख्या में कई सारे लोग जो बैकवाटर लेवल से बाहर किये गए उनको सम्मिलित किया गया और बहुत सारे जो डूब क्षेत्र में निवासरत हैं उनको सम्मिलित नहीं किया गया। कुछ दिन पहले वह संख्या 8700 पर लाकर नर्मदा विकास प्राधिकरण और जिलाधीशों ने जाहिर किया कि अब 9300 परिवार पुनर्वसित हो निकल गए हैं और अब 8700 परिवार ही बाकी है। यह बात भी झूठी थी, कुछ 100 परिवार भी नहीं हटें हैं मूलगाँव से और अभी 40000 से ज्यादा परिवार डूब क्षेत्र में रह रहे है, यह हमारा धरातल का सर्वे बतलाता हैं। अब अचानक 8700 से भी कम संख्या दिखाते हुए रजनीश जी दावा करते हैं कि मात्र लगभग 5000 परिवार ही बचे हैं। यही झूठे आंकड़े और संख्या का खेल मध्य प्रदेश सरकार ने सालों से सुप्रीम कोर्ट तक चलाया है, जिसकी पोल खोल 2005 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में गेम ऑफ नंबर्स के नाम पर की गयी। रजनीश वैश्य ने एक और भयावह झूठ बात सामने लायी है है उनका कहना हैं कि नर्मदा बचाओ आन्दोलन ने मात्र 25 लाख मुआवजे की बात कोर्ट के सामने रखी थी जबकि सुप्रीम कोर्ट ने खुद 60 लाख रुपये मंजूर किया है। रजनीश वैश्य क्या उस दिन कोर्ट में खड़े थे, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रस्तुत सारी बात लिखी जाती है। सरकारी गाइडलाइन के अनुसार ही 60 लाख रुपये मंजूर किया गया है और यहाँ बड़वानी में बहुत सारी जगह 1 हेक्टेयर जमीन का दाम भी 60 लाख से ऊपर जा चुका है। ऐसे में यह निश्चित ही भ्रमित करने और झूठे बयान आ रहे हैं सरकार की तरफ से जो घाटी के विस्थापितों के साथ अन्याय हैं।
आपदा प्रबंधन की कोई योजना नहीं आपदा प्रबंधन टीम के पास, सिर्फ कुछ 124 कर्मचारियों की टीम पर 50 गाँव का जिम्मा।
आज यहाँ जो आपदा प्रबंधन कर्मचारी नर्मदा किनारे पहुंचे हुए हैं, उनसे सवाल जवाब करने पर साफ़ हुआ धार जिले के 50 गाँव में जान माल की हानि ना हो, जबकि कलेक्टर का खुद का कथन है कि 76 गाँव डूब में हैं, इसके लिए सिर्फ तीन दल जिनमें 124 कर्मचारी मौजूद है यही आपदा प्रबंधन दल के कर्मचारी दवाब में निसरपुर में काम चला रहे हैं, उनके पास ना तो परिवार की सूची है और ना ही आपदा का अनुमान, कोई पक्की योजना उनके पास नहीं है। उन्होंने जाहिर किया कि उन्होंने जितने गाँव देखें हैं उनमें उनके अनुसार 90% लोग वहीँ निवासरत हैं बात आगे बढ़ने पर उन्होंने अपने एक साथी को कुक्षी भेजा आपदा प्रबंधन योजना लाने के लिए लेकिन एसडीएम ने उनकों जवाब दिया कि आपदा प्रबंधन का सिर्फ बजट होता है योजना नहीं, टीआई बाद में उन्हें ले जाने के लिए आये, जबकि यह स्पष्ट हुआ कि उनके साथ कोई गैर व्यवहार हुआ नहीं है और मात्र उनको रुकने के लिए कहा जब तक योजना तैयार नहीं हो जाती है। टीआई ने उसके बाद कहा कि मैं खुद एक घंटे में आपदा प्रबंधन की योजना लेकर आता हूँ, अब राह देख रहे हैं आन्दोलनकारी।
बडगांव में पहुंचे सरकारी कर्मचारी, पता लगा रहे किसको पट्टा मिला किसको नहीं
।मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इंदौर में विस्थापितों के तरफ से लगायी याचिका पर हुई सुनवाई, एक बार फिर सरकार विफल रही पुनर्वास स्थल पर मौजूद सुविधाओं की रिपोर्ट देने में
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