नर्मदा घाटी करे सवाल: जीने का हक़ या मौत का जल?, नर्मदा बचाओ आंदोलन, 2018
नर्मदा बचाओ आंदोलन को शुरू हुए बत्तीस साल हो चुके हैं। इन तीन दशकों का संघर्ष लाखों आदिवासियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों पर अपने अधिकार सुरक्षित करने की लड़ाई की कहानी बयां करता है। शुरू से ही सरकारों का रवैया इस परियोजना का विरोध करने वाले आदिवासियों के दमन का रहा है। बत्तीस सालों के हर प्रशासन ने न केवल शांतिपूर्ण जनआंदोलनों को पुरज़ोर दबाने की कोशिश की बल्कि नियम-क़ानून और यहां तक कि अदालत के फ़ैसलों की खुल कर अवमानना भी की। ये सरकारी रुख़ आज भी ठीक वैसा ही है।