अनिश्चितकालीन उपवास के तीसरे दिन नर्मदा घाटी के सैकड़ों लोगों ने जल सत्याग्रह कर देशवासियों से बिना सम्पूर्ण पुनर्वास किये सरकार द्वारा की जा रही गैर कानूनी डूब के खिलाफ समर्थन की अपील।
 
शिवराज चौहान को घाटी के लोगों ने आमने सामने बातचीत के लिए ललकारा, कहा नर्मदा पुत्र होंगे तो डूबाने के बजाये करेंगे संवाद।
 
गुजरात में सभी नहर बारिश के बाद भरकर बह रहे हैं और मध्य प्रदेश में बिजली के अतिरिक्त उत्पादन क्षमता होने के कारण सरकारी बिजली उपक्रम बंद पड़े, ऐसे में सरदार सरोवर से ना ही पानी की आवश्यकता ना ही बिजली की, फिर क्यूँ डूबाने को आतुर सरकार।
 
आम आदमी पार्टी ने नर्मदा विस्थापित बचाओ, प्रदेश बचाओ यात्रा का किया एलान, 1 अगस्त से शुरू होगी यात्रा, विधानसभाओं का करेंगे घेराव।

बड़वानी, मध्य प्रदेश | 29, जुलाई 2017 : नर्मदा घाटी में आज अनिश्चितकालीन उपवास का तीसरा दिन है। करीब 200 लोग नर्मदा घाटी में बिना सम्पूर्ण न्यायपूर्ण पुनर्वास के सरकार द्वारा सरदार सरोवर बाँध के गेट्स लगाकर करीबन 40000 परिवारों को जलहत्या कर मौत के घात उतारने की योजना बनाये बैठे सरकार के खिलाफ जल सत्याग्रह कर देश के सामने महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है। क्या नर्मदा घाटी के 2 लाख से ज्यादा लोग, लाखों मवेशी, पेड़ पौधे, खेत-खलिहान, मंदिर – मस्जिद, शालाएं व पूरी प्राचीन सभ्यता भारत का अंग नहीं ? क्या जब गुजरात में पानी पहुंचाने का ढोंग रचने वाली सरकार को मध्य प्रदेश की जनता, उनकी आजीविका, जंगल, नदियाँ नहीं दिखती ? क्या नर्मदा घाटी उद्योगपतियों के मुनाफे के लिए सरकारों द्वारा बलि चढ़ा दी जायेगी ? इन सभी सवालों के साथ नर्मदा घाटी से श्यामा बहन, भागीरथ धनगर, सरस्वती बहन, देवराम कनेरा व सैकड़ों अन्य ने शिवराज चौहान, जिसको जनता की सेवा के लिए लोगों ने मुख्यमंत्री बनाया है, उसे लोगों के सामने आकर बात करने को कहा।

शिवराज सिंह चौहान एक तरफ तो नर्मदा में एक बूँद मल-मूत्र नहीं गिरने देने की बात करते हैं तो क्या नर्मदा में लाखों लोगों की बलि देना उन्हें मंजूर है ? क्या नर्मदा माँ को सरकार द्वारा उनके पुत्र-पुत्रियों की बलि चाहिए ? कोई भी माँ अपने पुत्र-पुत्रियों की बलि स्वीकार नहीं कर सकती, फिर क्यों शिवराज सिंह चौहान गुजरात के राजनीतिक इशारे पर नाचने को मजबूर हो रहे ? आज नर्मदा घाटी के लोगों में काफी आक्रोश था, और प्रशासन के लाख कोशिशों को नकारकर नर्मदा घाटी से बिना सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास के हटने से साफ़ इनकार कर दिया। जलहत्या मंजूर है, लेकिन इस अन्यायी सरकार के सामने नहीं झुकेंगे ऐसे संकल्पों के साथ लोग उपवास पर दृढ़ता से बैठे हैं।

रमेश पटेल, विधायक बड़वानी (कांग्रेस) आज उपवास स्थल पर आये और पहले दिन से आते हुए अपना पूरा समर्थन लोगों के साथ देने की बात कही। शैलेश जी, आम आदमी पार्टी से जो खुद भी डूब प्रभावित हैं, आज 10 अन्य सदस्यों के साथ आते हुए पार्टी की ओर से नर्मदा घाटी के संघर्ष को समर्थन दिया और 1 अगस्त से ‘नर्मदा विस्थापित बचाओ, प्रदेश बचाओ’ यात्रा शुरू करने व सांसद भगवंत मान के घाटी पहुँचने की सूचना दी। आलोक अग्रवाल, आम आदमी पार्टी नर्मदा घाटी में इससे पहले आ चुके हैं और नर्मदा घाटी के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ सरकार की पोल खोल करते हुए बिजली के नाम पर सरदार सरोवर के गेट्स बंद करने को सिर्फ सरकार की उद्योगपतिओं को फायदा और गुजरात चुनाव जीतने की साज़िश बता चुके हैं। ना ही गुजरात में लोगों को सरदार सरोवर से बाँध से पानी की आवश्यकता है क्यूंकि अभी नहर बनकर तैयार ही नहीं हैं और गुजरात में बने हुए सभी नहर बारिश की पानी से भरकर बह रहे हैं और ना ही मध्य प्रदेश को बिजली की क्यूंकि पहले ही प्रदेश बिजली अतिरिक्त उत्पादन की क्षमता रखता है।

इन सब के बावजूद प्रशासन और सरकार नर्मदा घाटी के लोगों को बिना पुनर्वास डूबाने, व जबरन घाटी से बेदखल करने को आतुर है और उसी क्रम में आज बड़वानी में बड़ी संख्या में एनडीआरऍफ़ की टुकड़ी पहुँच गयी है। इस से साफ़ पता चलता है कि सरकार को त्रासदी के बारे में पता होते हुए भी जानबूझकर लोगों के खिलाफ कार्य कर रही है। जलस्तर बढ़ने के साथ पूरे घाटी में जलप्रलय निश्चित ही सरकार प्रद्दत होगी।

गुजरात में सभी नहर बारिश के बाद भरकर बह रहे हैं और मध्य प्रदेश में बिजली के अतिरिक्त उत्पादन क्षमता होने के कारण सरकारी बिजली उपक्रम बंद करके सरकार महंगे दामों पर निजी बिजली उपक्रमों से बिजली क्रय कर सरकारी खजाने का दुरूपयोग कर रही है, ऐसे में सरदार सरोवर से ना ही पानी की आवश्यकता ना ही बिजली की, फिर क्यूँ डूबाने को गुजरात और मध्य प्रदेश सरकार आतुर हो रही है। अभी जब गुजरात में बाढ़ का मंजर है तब सरकार गुजरात में बाढ़ प्रभावितों को 50,000 व मरने वालों को 2.5 लाख रुपये की सहायता राशि दे रही है। ऐसी स्थिति गुजरात में कभी नहीं आती अगर सरकार ने अतिरिक्त पानी के लिए विकेंद्रीकृत जल नियोजन किया होता। आज की स्थिति में गुजरात में उद्योगपतियों के मुनाफे के लिए, कोका कोला, और कार फैक्ट्री को सिंचाई के नाम पर बनी परियोजना से पानी देने की बात ना होती तो गुजरात में आवश्यकता अनुसार पानी उपलब्ध है, फिर क्यूँ सरकारें अपनी जिद्द और राजनीतिक फायदे के लिए लाखों लोगों की बलि देने के लिए सरदार सरोवर के गेट्स बंद कर लाखों लोगों की जलहत्या को आतुर है।

आज मुलताई के ताप्ती सरोवर में किसान संघर्ष समिति ने, भोपाल में विभिन्न जनसंगठनों ने, व जबलपुर में महाकौशल समर्थक समूह (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी, बरगी बाँध विस्थापित संघ एवं प्रभावित संघ, झांसीघाट किसान संघर्ष समिति, मध्य प्रदेश किसान सभा, चुटका परमाणु संयंत्र विरोधी संघर्ष समिति, जनवादी महिला समिति, मध्य प्रदेश महिला संघ, भूमि अधिकार आन्दोलन, आदिवासी किसान मजदूर संगठन, मानव अधिकार सेवा संघ, दलित अधिकार संघ, बुंदेलखंड मजदूर किसान शक्ति संगठन का साझा मंच) ने नर्मदा घाटी के संघर्ष और उपवास के समर्थन में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

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