Press Release | Narmada Bachao Andolan | August 24, 2017
आज शाम 4 बजे गिरफ्तारी के 16वें दिन मेधा पाटकर हुई धार जेल से रिहा, नर्मदा घाटी में खुशियों की लहर
मान परियोजना के विस्थापितों से करी मुलाकात, रैली निकालते हुए बड़ी आम सभा हुई मनावर में, चिखल्दा पहुचेंगे देर रात
शासन के दमन के खिलाफ आवाहन करते हुए रिहाई को आज़ादी सामान बताया घाटी के लोगों ने, निकाली विशाल रैली संघर्ष के संकल्प के साथ
विजय, संतू, और धुरजी भाई के जमानत की सुनवाई हाई कोर्ट में चल रही, उनकी रिहाई का है बेसब्री से इंतज़ार
बिना सम्पूर्ण और न्यायपूर्ण पुनर्वास के गाँव छोड़ने का सवाल ही नहीं, सरकार की नर्मदा घाटी के लोगों के ऊपर अपनाए दमनकारी नीति शर्मनाक
बड़वानी / धार, मध्य प्रदेश | 24 अगस्त, 2017: धार जेल से आज शाम 4 बजे मेधा पाटकर को रिहा किया। करीबन 4000 लोगों ने रिहाई के बाद उनका स्वागत किया और धार शहर के अन्दर से जोरों शोरों से नारों की गूँज के साथ रैली निकाल कर अन्याय के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया। आज हरितालिका होते हुए भी महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा थी। सभी ने सरकार के झूठे अपराधी प्रकरण तथा पुनर्वास के झूठे शपथपत्रों का धिक्कार किया। साथ में सभी अधिवक्ता गन, कुक्षी के विधायक हनी बघेल और कई संगठनों के साथी भी थे।
वहीँ नर्मदा बचाओ आन्दोलन के कार्यकर्ता पवन यादव ने रिहाई को आज़ादी एलान किया और बताया कि यह रिहाई नहीं बल्कि हमारे आज़ादी को रिहाई मिली है क्योंकि जब मध्य प्रदेश पुलिस ने पीथमपुर में मेधा पाटकर की गाड़ी को अपने 35 पुलिस गाड़ियों से भेद कर जबरन झूठे मामलों में फंसाकर शान्ति भंग होने के आशंकाओं में उनको एक साल तक घाटी में प्रवेश ना करने देने के मंसूबे से जेल में डाला था तब यह रिहाई आज नर्मदा घाटी के लोगों और दुनिया भर के संगठनों और अधिवक्ताओं के संघर्ष के बाद लगभग 70-80 गाड़ियों के काफिले के साथ घाटी में मेधा पाटकर का स्वागत उनकी आज़ादी और सरकार के मंसूबे पर एक जोरदार प्रहार है नर्मदा घाटी के लोगों के द्वारा।
जेल से रिहाई के बाद सब के मन में यही सवाल है कि आगे कि रणनीति क्या होगी? इस पर मेधा पाटकर का सिर्फ यही कहना है कि सरकार ने अगर रण मैदान खड़ा किया तभी रणनीति की जरुरत होगी नहीं तो हम सभी तो नीति के अनुसार चलने वाले लोग हैं, कानून और संविधान से चलते आ रहे हैं, जीने के अधिकार को लेकर चल रहे हैं। 31 जुलाई को गाँव खाली करना या करवाना शुद्ध अन्याय और जलहत्या जैसे ही होगा यह हम बार बार कहते आये हैं और इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ही एक नहीं कई फैसलों का आधार लेकर गाँव खाली नहीं हो सकते हैं।
आज शाम 4 बजे धार जेल से मेरी 16वें दिन रिहाई होते हुए नर्मदा घाटी की सैकड़ों महिलाएं और कुछ हज़ार किसान, मजदूर, मछुआरे, कुम्हार, आदिवासी व सभी समुदाय के लोग जो वहां पहुंचे और इसके साथ जोर शोर से लड़ाई लड़ने का संकल्प व्यक्त किया। यह बिलकुल स्वाभाविक है क्यूंकि आखिर झूठे प्रकरणों के आधार पर जेल में डालना, न केवल मुझे बल्कि अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं पर झूठे प्रकरण लगा देना और आज भी तीन अन्य कार्यकर्ता को बड़वानी जेल में धारा 307 के तहत झूठे प्रकरण में रखना, ये बिलकुल ही अन्यायकारी मार्ग मध्य प्रदेश शासन ने केंद्र सरकार के साथ जुड़कर स्वीकारा है। हम न्यायालय में न्याय मांगने जाते हैं और सरकार न्यायालय का आधार और न्याय प्रक्रिया का आधार अन्याय थोपने के लिए करती है, यह दुर्दैव है। हम तो यह देख ही रहे हैं कि झूठे प्रकरण और झूठे शपथपत्रों के आधार पर वो गैरकानूनी कार्य भी आगे बढ़ा रहे हैं और भ्रष्टाचार भी जारी है। इन दोनों को ही रोक रहे थे नर्मदा घाटी के लोग और वह रोकने का उनका अधिकार ही नहीं कर्तव्य है, और लोग ऐसा ना कर पाए इसके लिए ही जेल में डालने की साज़िश रची गयी और कुछ कारण नहीं दिखता। जिस केस में बंधक बनाने का आरोप है वो केस छठे या सातवें दिन हमारे अनशन के, अधिकारियों को हमने बंधक बनाया, ये झूठे आरोप लगाने वाली है इसके बारे में क्या कहें।
मेधा पाटकर ने देखा कि धार जेल में आज भी बेगुनाह महिलाएं हैं और जिनकी कुछ दिनों में जमानत होनी चाहिए वो पाँच-पाँच साल से भी बिना जमानत हवालाती बंद पड़े हुए हैं ना फैसला ना न्याय। ये जो प्रक्रिया चल रही है न्याय के नाम पर इसे उजागर करना ही होगा पर आज सवाल नर्मदा घाटी के सामने है कि क्या बिना पुनर्वास शासन उजाड़ देगा हजारों परिवारों को, लाखों लोगों को, बड़े बड़े गाँवों को, मंदिरें मस्जिदें, शालाएं, हरे भरे संपन्न खेत, पेड़, जंगल सभी को या नहीं? हम इसे गैर कानूनी मानते है क्यूंकि ट्रिब्यूनल का फैसला और तमाम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है, और इसलिए क्या लड़ाई जारी रहेगी सवाल का जवाब है ‘हाँ’। क्यूंकि अभी तक ना पुनर्वास पूरा हुआ है ना पुनर्वास स्थल और ना स्थायी पुनर्वास की तैयारी सरकार की है। और यह बात उनके हाई कोर्ट में दाखिल शपथपत्रों से भी साफ़ सामने आ रही है और कुछ कहने बताने की जरुरत नहीं है, करोड़ों रुपये अब वो लगा रहे हैं रास्ते बाँधने में, पेयजल आपूर्ति के लिए। इसलिए इसी के साथ बिना पुनर्वास नहीं हटेंगे इस संकल्प के साथ हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
धार जिले से जेल से नर्मदा घाटी के लगभग 30 गाँवों से ज्यादा गाँवों के हजारों लोगों ने रैली निकाली और मेधा पाटकर को साथ लेकर चलते हुए रास्ते में मान परियोजना से प्रभावित लोगों से मिलते हुए आगे बढ़े। मनावर बस स्टैंड चौक पर आम सभा करते हुए गाँधी जी की प्रतिमा को माल्यार्पण किया उसके पास बढ़ी संख्या में आये मनावर के साथियों के साथ सभा करी। इसके बाद मेधा पाटकर वापस चिखल्दा जायेंगी जहाँ से अनशन शुरू हुआ था और 7 अगस्त को उनको और 9 अन्य साथियों को मध्य प्रदेश पुलिस ने जबरन उठाया था। चिखल्दा में आम सभा होगी आज रात और नर्मदा बचाओ आन्दोलन का संघर्ष न्याय मिलने तक अनवरत जारी रहेगा ऐसा एलान और संकल्प नर्मदा घाटी के लोगों ने किया है।
श्यामा बहन, राहुल यादव, सनोबर बी, अमूल्य निधि, कमला यादव, देवराम कनेरा, भागीरथ धनगर, पवन यादव
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