भारी बारिश के बीच अंजड में रैली तथा छोटा बड़दा में हुई आमसभा, 20 विस्थापितों ने कराया मृत समान सरकार के लिए मुंडन*
*सरदार सरोवर को भरने के लिए अन्य बांधों से छोड़े जा रहे पानी के कारण चिखल्दा, निसरपुर तथा राजघाट के कई घरों तक पंहुचा पानी*
विस्थापितों ने शुरू किया जल सत्याग्रह, मेधा पाटकर तथा अन्य भी बैठे लोगों के साथ
*128.50 मीटर से ऊपर पहुंचा नर्मदा का जलस्तर*
राजघाट, 15 सितम्बर 2017: आज भारी बारिश में मध्य प्रदेश के अंजड में विशाल रैली हुई, रैली के बाद छोटा बड़दा में एक आमसभा की गयी जिसमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया(मार्कसिस्ट) से सुहासिनी अली, SUCI से सोनू शर्मा तथा घाटी के हजारों लोग उपस्थित थे। बढ़ते जलस्तर से डूब सामने है और हमेशा की तरह सरकार की चुप्पी देखकर 20 विस्थापितों ने सरकार को मृत मानकर मुंडन कराया। शाम 5 बजे से मेधा पाटकर सहित लगभग 25 लोगों द्वारा जल सत्याग्रह शुरू कर दिया गया, सत्याग्रह की अवधि अभी जाहिर नहीं की गयी है।
केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मोत्सव तथा सरदार सरोवर बांध के लोकार्पण की तैयारी में व्यस्त हैं और सरदार सरोवर में पानी भरने के लिए दूसरे बांधों से भी पानी छोड़ा जा रहा है जिससे पानी का स्तर 128.50 पहुँच गया है और निसरपुर, चिखल्दा तथा राजघाट में घरों तक पानी पहुँचना शुरू हो गया है। निसरपुर के 25 घर डूब की कगार में हैं इन गांवों में कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें ना घर प्लाट मिला है और ना ही मुआवजा, ना ही लोगों के पास नए घर का निर्माण करने के लिए पैसे और समय है। सरकार द्वारा विस्थापितों के लिए 900 करोड़ रुपये की घोषणा की गयी थी जिसमें प्रत्येक विस्थापित को 5 लाख 80 हजार राशि देने की बात कही गयी थी वह भी नहीं मिली है। ऐसे स्थिति में लोग घर छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं और पानी में ही बैठे हुए हैं।
राजघाट में पानी का स्तर बढ़ने से लगभग पूर्ण रूप से तैयार फसलें डूब गयी हैं और किसानों के घर, जमीन, आजीविका के साथ-साथ खेती पर लगायी मेहनत भी डूब रही है और यह सब विकास के लिए बने विनाशकारी बांध के कारण हो रहा है।
गुजरात में भी पुनर्वसित परिवार धरने पर बैठे हैं, बाँध परियोजना का काम अधूरा है, 70% से अधिक नहरों का काम होना बाकी है फिर भी सरकार गुजरात में होने वाले चुनावों की राजनीति के लिए सरदार सरोवर का उद्घाटन करके और बाँध पूरा होने का भ्रम फैलाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। इससे अधिक शर्म और निंदा की बात किसी लोकतान्त्रिक सरकार के लिए और क्या हो सकती है? हजारों परिवार, लाखों लोग, मवेशी, पेड़- पौधे तबाह हो रहे हैं, इन सभी की अनदेखी कर सरकार जन्मोत्सव की तैयारी में लगी हुयी है।
मुकेश भगोरिया, कमला यादव, श्यामा मछुआरा, पेमा भाई, मंजू बहन, देवराम कनेरा, भागीरथ धनगर, भगवती भाई, राहुल पाटीदार
नर्मदा बचाओ आंदोलन
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