महाराष्ट्र में पहुंचे अफरोज अहमद को रोक मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विस्थापित मछुआरों ने पुनर्वास और जलाशय पर अधिकार सम्बंधित किये सवाल

एन.सी.ए ने फिर से साधी चुप्पी, नहीं दे पाए अफरोज अहमद सवालों के जवाब

न.ब.आ ने दी चुनौती, एन.सी.ए को भी मानेंगे डूब का ज़िम्मेदार

 

12 सितम्बर 2017: अफरोज अहमद, सदस्य पर्यावरण एवं पुनर्वसन, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण विभाग कल महाराष्ट्र के विस्थापित भूशा गांव के लोगो से मुलाकात एवं बातचीत करने पहुचे|  नर्मदा बचाओ आंदोलन के लंबे संघर्ष के बाद मणिबेली,चिमलखेड़ी, शेलगदा, चिचखेड़ी और खर्डी इन गावों में विस्थापितों की मछली समिति स्थापन हो कर उन्हे सरदार सरोवर के जलाशय पर मछली पकड़ने का अधिकार मिला|  खर्डी तथा शेलगदा गाँवो के समितियों को महाराष्ट्र शासन मत्स्य विभाग की ओर से मछली जाल वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया था| इस मौके पर आये अफरोज अहमद को  महाराष्ट्र के विस्थापितों के साथ- साथ मध्य प्रदेश के मछुआरे और विस्थापितों ने अफरोज अहमद को रोका और बिना पुनर्वास बाँध के गेट बंद करने की मंजूरी और पुनर्वास सम्बंधित सवाल जवाब किये|

सरदार सरोवर बांध का कार्य पूर्ण हो चुका है तथा आने वाले 17  सितम्बर को मा. प्रधानमंत्री जी के जन्मदिवस पर इस बांध का लोकार्पण किया जायेगा| इस समारोह में होने वाले करोड़ों के खर्च पर लोगों ने जमकर विरोध किया| पुनर्विकास में दुर्लक्षित मुद्दों पर महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के उपस्थित विस्थापितों ने रोशनी डाली|

सरदार सरोवर बांध में विस्थापित हो रहे मध्य प्रदेश के विस्थापितों ने अपनी बात इस समय रखी| मध्य प्रदेश डूब के लेवल का कोई भी सर्वेक्षण अभी तक नहीं किया गया है और डूब में आने वाले लेवल का कोई अनुमान मध्यप्रदेश सरकार को नहीं है, इस पर ध्यान आकर्षित किया | बांध का काम पूरा होने की वजह से बिना पूनर्वास हजारों परिवारों को डूब भुगतनी पड़ेगी। ऐसे समय पर अफरोज अहमद ने म. प्रदेश के मूल गाँव और वसाहट की परिस्थिति प्रत्यक्ष रुप से देखकर विस्थापितों के पक्ष में भूमिका लेने की मांग लोगों ने की।

मध्य प्रदेश के पिछोड़ी गाँव की श्यामा बहन ने कहा कि सरदार सरोवर प्रकल्प अंतर्राज्य प्रकल्प होने की वजह से महाराष्ट्र के विस्थापितों को नर्मदा के जलाशय पर मछली का अधिकार जिस तरह से मिला है वैसे ही म. प्रदेश की 17 समितियों को तुरंत मंजूरी देकर जलाशयों पर विस्थापितों का हक़ स्थापित करने की जिम्मेदारी अफरोज अहमद ले|

म. प्रदेश में डूब में आने वाले 15000 परिवारों को अचानक म. प्रदेश के शासन ने डूब से बाहर बताया लेकिन अभी पानी घर के नजदीक आ चुका है यह स्थिति प्रत्यक्ष आकर देखे, यह मांग की गयी। अगर पुनर्वास पूरा हो चुका है जैसा कि सरकार का कहना है तो म. प्रदेश सरकार अलग- अलग पैकेज क्यों जाहिर कर रही है ऐसा सवाल मुकेश भगोरिया ने किया। क्या पुनर्वास पूरा न होते हुए आप लोगों को डूबायेंगे? नर्मदा घाटी के लोंगो के मानवाधिकारों की हत्या आप खुली आँख से देखेंगे या पुनर्वास बाकी है ऐसा सच का हवाला देकर शासन को अवगत करायेंगे?

म. प्रदेश के 17 मछली समितियों को मछली पालन का अधिकार दिया जाएगा इसमें  कोई दो राय नहीं ऐसा अफरोज अहमद ने कहा लेकिन म. प्रदेश के अधूरे पुनर्वास पर अहमद ने चुप्पी साधी।

अफरोज अहमद ने महाराष्ट्र के विस्थापितों द्वारा किये गए सवालों के जवाब तो दिए लेकिन मध्य प्रदेश से पहुंचे विस्थापित और मछुआरों के एक भी सवाल का जवाब उन्होंने नहीं दिया| बिना पुनर्वास, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा जो सरदार सरोवर बाँध के गेट बंद किये इससे एन.सी.ए की मंशा साफ़ ज़ाहिर होती है| अभी जिस तरह का माहौल मध्य प्रदेश में चल रहा है, महाराष्ट्र से ज्यादा ज़रूरत मध्य प्रदेश में दौरा कर पुनर्वास के काम पर ध्यान देने की है| लेकिन इस बात को भी नकारते हुए अफरोज अहमद ने कहा कि उनकी बाकी टीम ने मध्य प्रदेश के पुनर्वास स्थल का दौरा किया है और जो गलत है उसे आगे तक पहुंचाया भी है| लेकिन सच्चाई यह है कि एन.सी.ए ने एक निरीक्षण आयुक्त होते हुए भी नर्मदा घाटी के 192 गाँव और 1 नगर के अधूरे और निम्न पुनर्वास पर कभी अपना पक्ष नहीं रखा है, ना ही अपनी रिपोर्ट के ज़रिये और ना ही कोर्ट में| ऐसे में चाहे कल की अफरोज अहमद की चुप्पी हो या 7 सितम्बर पर एन.सी.ए के अधिकारियों की चुप्पी, क्या हम यह मान लें कि एन.सी.ए भी नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से हाथ मिलाकर चल रहा है ! पानी का लेवल दिन पर दिन बढ़ रहा है, अगर अब भी एन.सी.ए कुछ नही बोला तो क्या ये पुनर्वास के धोखे और छल पर अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए नर्मदा घाटी के लोगों को डूबने का इंतज़ार कर रहा है| नर्मदा घाटी के लोग एन.सी.ए को यह चेतावनी देते हैं कि या तो वह अपना काम और कर्तव्य पूरा करें या फिर नरेन्द्र मोदी और मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा नर्मदा घाटी की जलहत्या में भागीदारी लेने को तैयार रहे |

मुकेश भगोरिया, कमला यादव, बच्चू भाई, श्यामा बहन, भरत सिंह मंडलोई, रघुराम यादव, सुनीता बहन

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