महेश्वर घाट और सांस्कृतिक धरोहर महेश्वर किला भी होगा सरदार सरोवर से प्रभावित

अवैध पुनर्वास के नए घोटाले की पोल खोल

60 गांवों की यात्रा के बाद आज चौथे दिन मनावर तहसील पहुंची नर्मदा न्याय यात्रा

प्रेस नोट: बडवानी, 1 सितम्बर 2017: नर्मदा न्याय यात्रा तीन दिनों में 60 से अधिक गाँव के हजारों लोगों तक पहुचने के बाद आज यात्रा के चौथे दिन धार जिले के मनावर तहसील में प्रवेश कर चुकी है| सुबह 8 बजे से ग्राम जलखेडा में यात्रा के स्वागत के बाद जलखेडा के डूब पर गंभीर चर्चा हुई| जलखेडा नर्मदा की उपनदी, मान के किनारे बसा है और मान बाँध परियोजना का पानी छोड़ने पर ही जलखेडा का निचला फलिया, डूब में आ चुका है | मनावर, जो तहसील का नगर है, उसके भी कई मोहल्ले नुकसान भुगत चुके हैं| इन परिवारों को नर्मदा और मान दोनों नदियों में बाढ़ आने पर डूब का निश्चित ही बड़ा खतरा है| लेकिन यात्रियों ने फिर एक बार, जलखेडा का जायजा लेते हुए महसूस किया कि शासन- प्रशासन इसकी सुध तक नहीं ले रही है| इस कारण जलखेडा के डूब ग्रस्त परिवारों की संख्या भी सुनिश्चित नहीं है तो पुनर्वास कैसे?

कोठड़ा और बड़ा बड़दा जैसे भरपूर जनसँख्या और समृद्ध खेती वाले पश्चिम निमाड़ के गाँव- गाँव में दलित, मछुआरे, केवट, मजदूर समाजों के मोहल्ले या तो आधे अधूरे ही अर्जित है या तो डूब क्षेत्र के बाहर किये गए हैं और कहीं ‘टापू’ में माने गए हैं| लेकिन 2013 की डूब से साफ़ है की ये परिवार निश्चित ही डूब में आयेंगे| जिनके घर द्वार के 2/3 मीटर नीचे जब बाँध 122 मीटर उचाई पर था तब पानी पंहुचा था तो वे 139 मीटर ऊंचे बाँध से कैसे प्रभावित नहीं होंगे? बड़ा बड़दा गाँव के गरीबों ने यही सवाल उठाया, जबकि उनके पुनर्वास स्थल की ज़मीन का विवाद भी आज तक सुलझाया नहीं गया इसलिए ना ही अन्य जाति के समाजों को अर्जित ज़मीन वापस की गई न ही किसी गरीब को आबंटित की गई!

महेश्वर किला भी सरदार सरोवर बांध प्रभावित

महेश्वर नगर भी डूब में आएगा, अब डूबने वाला सिर्फ धरमपुरी ही एक नगर नहीं है बल्कि धरमपुरी और महेश्वर दोनों नगर प्रभावित होंगे| नर्मदा घाटी, प्रदेश और देश की सांस्कृतिक धरोहर रहा महेश्वर नगर में स्थित महेश्वर किला भी प्रभावित होगा| सरदार सरोवर का, दक्षिणी किनारे का आखिरी प्रभावित गाँव नावडाटोली के सामने है महेश्वर किला| अहिल्या देवी जैसी पर्यावरणवादी राजनेत्री के इस केंद्र को न केवल अब छू रही है नर्मदा बल्कि 1994 में भी किले में पानी घुसा था| तो क्या 139 मीटर के बाँध से यह धरोहर बचेगी? महेश्वर के बुद्धिजीवी, पत्रकारों, संगठनों सहित 2000 केवट- नावडी भी स्पष्ट रूप से जानते हैं कि वे सभी अपनी आजीविका खो देंगे| पर्यटन से जुडी उनकी कमाई भी किला प्रभावित होने से, कब तक बचेगी ?

न्याय यात्रा में हो रही गैरक़ानूनी कार्य की पोल-खोल

मध्यप्रदेश शासन का राजस्व विभाग कह रहा है की उनका सर्वेक्षण एन.वि.डी.ए से भिन्न है | उन्होंने अचानक 8821 परिवार ही डूब क्षेत्र में हैं, यह घोषणा की है| साथ ही 8000 ऐसे परिवार डूब क्षेत्र में हैं, जो की एन.वि डी.ए की विस्थापित सूचि में न होने से ‘अपात्र’ हैं| सरकार अब इन अपात्रों को उनकी संपत्ति का भूअर्जन न करते हुए कानूनन 60X90 का भूखंड पुनर्वास में देने के बदले मात्र 20X90 या 30X60 का भूखंड दे रहे हैं| इतना ही नहीं, कुछ पात्र लोगों को भी भूखंड का 2/3 हिस्सा वापस करने को कहा जा रहा है | और जिन्हें नहीं मिला है, उन्हें पात्रता को भूलकर छोटा भूखंड लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है| इस अंधाधुंध में गरीबों को फंसाकर, शपथपत्रों की संख्या बढ़ने का दावा करते हुए मध्य प्रदेश शासन किसे भ्रमित करना चाहती है? मोदी जी से गठजोड़ करके मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश  शासन द्वारा, सरदार सरोवर बाँध को भरने और हजारों परिवारों को डूबाने की ऐसी साजिश आन्दोलन नहीं सहेगा | यह संकल्प हर सभा में लेते हुए आगे बढ़ रही है न्याययात्रा|

 

रणवीर तोमर, मुकेश भगोरिया, श्यामा मछुआरा, पवन यादव, कामेंद्र मंडलोईसनोबर बी, राजा भाई, महेंद्र तोमर, आनंद तोमर, रोहित ठाकुर, सुमित यादव

 

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