प्र्रति,
1. श्रीमान कलेक्टर महोदय,
कलेक्टर कार्यालय, धार,
जिला-धार(म.प्र.)
2. अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)
मनावर-तहसील-मनावर,
जिला-धार(म.प्र.)
3. तहाीलदार,
मनावर तहसील-मनावर,
जिला-धार(म.प्र.)
महाशयगण,
मेरे पक्षकारगण ग्राम-एकलवारा, सेमल्दा, रतवा, मलनगांव, कवठी तह.
-मनावर जिला-धार एवं मनावर तहसील के अन्य गांवो के अन्य गांवों के बाढ प्रभावीत
निवासीयों द्वारा मुझे अधिकृत कर प्रदान कीये गये निर्देश एवं दि गई माहिती अनुसार
आप कंमांक 1 से 3 तक को सूचित कीया जाता है की:-
1. यह की, आप सभी जानते ही हैं की पिछले दिनों नर्मदा घाटी के उपरी
क्षेत्रों में, भारी वर्ष के कारण तव, बरगी, बारना, आंेकारेश्वर, इंदिरासागर तथा सरदार
सरोवर बांध के कारण धार जिले की मनावर तहसील में भारी डुब आकर तबाही हुई
है। धार जिल के नर्मदा नदी के आस पास के गावों में मुहल्ले के मुहल्ले जलमग्न हो
गये एवं पानी घुसा जिससे लोगाों के मकान, दुकानें एवं खेतों में खड़ी फसलें नष्ठ हो
गई है। इन प्रभावीतों को बेघरबार एवं बेरोजगार होनां पडा़ है, मछुआरे, कीसान,
कुम्हार, मजदुर, दुकानदार सभी का भारी नुकसान हुआ है।
2. यह की, इस प्रकार मनावर तहसील में आइ्र्र डुब के कारण गंभीर
नुकसान हुआ है। लेकीन शासन की तरफ से इससे प्रभावीत होने वाले लोगों को हुये
नुकसान की भरपाई करने हेतु क्ष्तिपुर्ति प्रदान करनें के संबंध में कुछ भी कार्यवाही नहीं
की जा रही और न ही गांवों में जाकर पटवारियों ने एवं अन्य राजस्व अधिकारीयों ने
नुकसान का आकलन कीया है। कई गांव तो एसे है की जहां पर अभी तक कोईं भी
राजस्व अधिकारी स्थिति का जायजा लेनें तक भी नहीं पहुंचे है।
3. यह की, आपदा के इस समय में इस आपदा से प्रभावीत हुये लोगों को
हुये नुकसान का आंकलन करना एवं उसकी क्ष्तिपुर्ति करना आप सभी अधिकारीगण
का वैधानीक दायीत्व है। इस प्रकार की आपदाआों के समय तत्काल स्वतः ही
कार्यवाही करनें हेतु म.प्र. शासन द्वारा राजस्व पुस्तक परिपत्र के खण्ड क्रमाकं 6-4 के
अंतर्गत राजस्व अधिकारीयों के लिये विशेष जिम्मेदारीयां निर्धारीत है एवं उन
जिम्मेदारीयों को निभानें के लिये विशेष प्रक्रीया निर्धारीत की गई है। जब भी कभी बाढ
इत्यादी से कोईं प्रकृतिक आपदा आती है एवं हानी होती है तो राजस्व अधिकारीयो को
तत्काल क्षति का आंकलन कर उसकी क्षतिपुर्ति करनें के आदेश राजस्व पुस्तक परिपत्र
के अंतर्गत दिनांक 25 नवंबर 2006 से प्रभाशील परिपत्र में म.प्र. शासन राजस्व विभाग
द्वारा जारी कीये गये है। उक्त परिपत्र में राजस्व पुस्तक परिपत्र के अंतर्गत जारी
परिपत्र की कण्डीका 4 लगायत 6 में निम्नलिखित निर्देश जारी कीये गये हैे:-
‘‘4. जब कीसी प्राकृतिक प्रकोपों से कोईं हानी हो तब
पटवारी, पटेल एवं कोटवार का, जो की स्थानीय राजस्व कर्मचारी है, यह प्रमुख
दायीत्व होगाा की क्ष्ेत्र के राजस्व अधिकारी यथा नायब तहसीलदार, तहसीलदाऱ एवं
उपखण्ड अधिकारी को इस बात की तत्काल सूचना दें तथा ये अधिकारी मामले की
गंभीरता को ध्यान में रखते हुये जिले के कलेक्टर एवं संभाग के संभागयुक्त को
आवश्यक प्रतिवेदन तत्काल दें। इसी के साथ तहसीलदार एवं उपखण्ड अधिकारी का
भी यह दायित्व एवं कर्तव्य है कि प्रभावीत क्षेत्र में मौके पर ततकाल पुहुंचकर, क्षति का
आकलन करनें के साथ-साथ ततकाल राहत उपलब्ध कराने के लिये सभी प्रकार के
आवश्यक कदम उठावंे। यदि क्षति हुई है तो शासन द्वारा स्वीकृत एवं निर्धारीत
मानदण्डों के अनुसार आर्थीक सहायता उपलब करानें की वे तत्काल कार्यवाही करें,
तथा स्थानीय व्यक्तियों एवं संस्थाओं से जन सहयोग के रुप में प्राप्त होने वाली
सहायता को भी तत्काल पीड़ीतों को उपलब्ध करवायें।
5. तहसीलदार तहसील कार्यालय में प्ररुप-एक में पंजी
संधारीत करेंगें जिसमें उनके क्ष्ेात्राधिकार में प्राकृतिक प्रकोपों से हुई हानी और उपलब्ध
कराई गई सहायता का पुर्ण विवरण रखा जायेगा।
6. यदि प्राकृतिक प्रकोपों से क्ष्ति केवल किसी कृषक विशेष
या व्यक्ति विशेष को ही हुई है तो संबंधित व्यक्ति निर्धारीत संलग्न प्रारुप-दो में
तहसीलदार को आवेदन दे सकंेगे। तहसीलदार आवेदन के तथ्यों की पूर्णजांच कर, दी
जानें वाली सहायता की पात्रता सुनिश्चित करेंगें। व्यापक स्वरुप की आपदा के मामलों
में प्रभावीत व्यक्ति द्वारा आवेदन देना अनिवार्य नहीं होगा बल्कि राजस्व अधिकारी द्वारा
स्वप्रेरणा से प्रभावीत क्षेत्र का सर्वेक्षण कर आर्थीक सहायता के प्रकरण तैयार कीये
जायेंगें। यदि सहायता, की राशी तहसीलदार के वित्तीय अधिकार की सीमा में है तो
10 दिन के भीतर सहायता उपलब्ध करवाई जायेगी, और यदी प्रकरण तहसीलदार की
वीत्तीय अधिकार की सीमा से अधिक राशी का हे तो यथास्थिति उपखण्ड अधिकारी,
कलेक्टर, संभागाायुक्त या शासन की स्वीकृति प्राप्त की जायेगी। पीड़ीतों को सहायता
राशी आवेदन पत्र देनें के 15 दिन के अंदर अनिवार्य रुप से उपलब्ध हो जाये इस बात
का पुरा घ्यान रखा जायेगा।’’
4. यह की, उपरोक्त नियमों के अनुसार राजस्व अधिकारीयों एवं कर्मचारीयों
का दायित्व है की प्रत्येक प्रभावीत परिवार को हुये नुकसान का आकलन पृथक-पृथक
कीया जाकर उसकी क्ष्ति पुर्ति की जाये न की केवल एक सूची बनाकर। सुची बनाने
से कीसी भी प्रकार की क्ष्ति का आंकलन नही होता है। राजस्व पटवारी गांवों में
प्रभावीतों की सूचियां तैयार कर रहे हैं लेकिन कीसी भी प्रकार के नुकसान का
आंकलन नही कीया जा रहा है। राजस्व पुस्तक परिपत्र के आदेशात्मक प्रावधानों के
अनुसार हुये नुकसान का आकलन करके उसकी क्षतिपुर्ति निर्धारीत नियमों के अनुसार
की जाना अनिवार्य है। मेरे पक्षकारगणों के द्वारा नुकसानी का आकलन करनें की एवं
उसकी क्ष्तिपुर्ति करनें की लगाातार मांग की जा रही है, लेकीन राजस्व अधिकारीयों
द्वारा उनकी मांग पर कोईं ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
5. यह की, वर्ष 2012 में भी उपर के बांधों से पानी छोडे़ जानें के कारण
एवं बारीश होनें के कारण भारी तबाही हुई थी लेकीन आप क्रमांक 1 लगायत 3 तक
के द्वारा राजस्व पुस्तक परिपत्र के अंतर्गत म.प्र. शासन द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार
कोईं कार्यवाही नहीं की गईं ।
6. यह की, इस प्रकार की विशेष परिस्थितियों में शासन के द्वारा जारी
परिपत्र में कलेक्टर महोदय की विशेष जिम्मेदारी निर्धारीत की गई है तथा कलेक्टर
महोदय को इस प्रकार की आपदाओं के समय तत्काल कार्यवाही करनें हेतु विशेष
शक्तियां प्रदान की गई है लेकीन उसके अनुसार भी कार्यवाही कर राहत उपलब्ध
करवानें की कार्यवाही नही की जा रही है। राजस्व पुस्तक परिपत्र की कण्डीका 15 एवं
16 में कलेक्टर महोदय की जिम्मेदारी के संबंध में म.प्र. शासन द्वारा निम्नानुसार
अनुदेश दिया गया है:-
‘‘ 15. प्रकृतिक प्रकोपों से हुई हानी के लिये मांग संख्या 58
मुख्य शीर्ष 2245 में यदी आवंटन उपलब्ध न हो तो कलेक्टर शासन से आबंटन प्राप्त
होनें की प्रत्याशा में पीड़ीतों को तत्काल राहत उपलब्ध करानें के उद्देश्य से आवश्यक
राशी उक्त शीर्ष से आहरीत करनें के आदेश दे सकेंगें तथा शासन को आबंटन
उपलब्ध करानें हेतु तत्काल मांग भेजेंगें।
16. यह संभव है की प्रकृतिक विपत्ति से निपटनें के लिये या
राहत देनें के लिये किसा स्थिति का इस परिपत्र में समावेश न हुआ हो, ऐसा होने पर
कलेक्टर तुरंत शासन से सिफारीश करते हुये योग्य आदेश प्राप्त करेंगें। ’’
7. यह की, इस प्रकार आप अधिकारीगण क्रमांक 1 लगायत 3 द्वारा राजस्व
पुस्तक परिपत्र में दिये गये निर्देशानुसार सहायता उपलब्ध करवानें के संबंध में कुछ भी
कार्यवाही नहीं की गई है। इस सूचना पत्र के द्वारा आप सभी को मेरे पक्षकारगण की
और से अंतिम बार सूचित कीया जाता है की आप मनावर तहसील में हुई तबाही का
तुरंत 2 या 3 दिनों में आकलन कर उसकी क्षतिपुर्ति करवायें। यदी तीन दिनों में
आपके द्वारा कुछ भी कार्यवाही नहीं की जाती है तो मेरे पक्षकारगण आपके विरुद्ध
सक्षम न्यायालय में कानुनी कार्यवाही करेंगें जिसके समस्त हर्जे एवं खर्चे की जिम्मेदारी
भी आप कंमांक 1 लगायत 3 तक की होगी। उपरोक्तानुसार सूचित कीया जाता है।
बड़वानीः भवदिय,
दिनांकः 02.08.2013
(उमेश पाटीदार एडवोकेट)
द्वारा- ‘‘प्रथाग्राफीक्स’’
जिला अस्पताल के सामनें,
राधे मेडीकल स्टोर्स के पास,
बड़वानी जिला-बड़वानी (म.प्र.)
Tags: बडवानी, विधिक सूचना पत्र