मध्य प्रदेश सरकार के मृत होने पर नर्मदा घाटी के लोगों ने चुनौती धरने पर करवाया मुंडन
अधूरी सरदार सरोवर परियोजना का लोकार्पण फर्जी में मध्यप्रदेश सरकार का समर्थन
बिना पुनर्वास नर्मदा घाटी का डूबना नामंजूर
14 सितंबर 2017, भोपाल: मध्यप्रदेश शासन के नुमाइन्दों से कल हुई 2 घंटों की बहस और तथ्य, आंकड़े एवं दावों पर विवाद के बाद आज नर्मदा घाटी से आये सरदार सरोवर के सैंकड़ो विस्थापित नीलम पार्क, भोपाल में ‘चुनौती धरने’ पर उतरे हैं| 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री, अन्य मुख्यमंत्रियों को ही नहीं साधुओं को भी बुला कर स्वयं के जन्मदिन पर जश्न बनायेंगे और म.प्रदेश के मुख्यमंत्री भी, अपने ही किसानो मजदूरों की आहुति देने वाले इस यज्ञ में शामिल होंगे तो राज्य और केंद्र शासन, आदिवासी-दलित-किसान और नर्मदा घाटी वासियों के लिए मरुत्वत साबित होंगी |
इसी निष्कर्ष पर आये विस्थापितों के 30 प्रतिनिधियों द्वारा आज अपना मुंडन करके, शासन का आम लोगों के लिए जीवित न रहना, जाहिर किया गया| इस चुनौती के साथ कि मध्यप्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा, यहाँ की अति उपजाऊ धरती, नदी मछली,विविध आजीविकाओं के साथ जीने वाले करीबन 40,000 परिवार, लाखों मवेशी, लाखों पेड़ भी विस्थापित होना, आज की स्थिति में ‘नामंजूर’ कहते हुए, चुनौती देंगे घाटी के लोग और समर्थक भी, बिना पुनर्वास मोदी जी के समारोह और उससे चुनाव प्रसार के लिए लाई जा रही अन्यायकारी डूब के खिलाफ यहाँ से लौट कर ग्राम छोटा बडदा (अंजड़ के पास जिला बडवानी) कुछ धार्मिक स्थल आज भी डूब क्षेत्र में है जिसकी पूरी रिपोर्ट की शासन अनदेखी करती आई है|
कल रात निसरपुर में नर्मदा की उप-नदी उरी-बाघनी के किनारे का शिव मंदिर, उसके अंदर का शिवलिंग, जबरन मजदूरों के द्वारा हथोड़े से उखाड कर, नार्मदावासियों के विरोध के बावजूद खुले चबूतरे पर रखा गया जिससे श्रद्धालुओं को ठेस पहुची है| जबकि पुनर्वास स्थल पर पर्याप्त पानी,सही घर-प्लाट, रास्ते, सुविधाओं के साथ अभी तक तैयार नहीं है| तो अर्थात हजारों परिवार गाँव में ही बसे हैं, न ही वे अपने मकानों का निर्माण कर पाए है| अभी भी टिन शेड और रास्तों पर चुरी, 4 महीनो के लिए अस्थायी पानी, चारा , भोजन देने पर शासन का ध्यान है तो उनके पहले ही शिवलिंग हटाने की क्या ज़रूरत थी, यह सवाल है |
कल 15 तारीख से ग्राम छोटा बडदा में हजारों विस्थापित अपने समर्थकों के साथ नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह शासन की नर्मदा के पानी, भूमि की लूट और उनके राजनीतिक स्वार्थ के लिए हजारों परिवारों को सरदार सरोवर में पानी भरकर डुबाने की शाजिस का विरोध करेंगे। नर्मदा बचाओ आन्दोलन का, सभी संवेदनशील, विचारशील नागरिकों को एलान है इस मुहिम से जुड़ने का, अपने अपने तरीके से घाटी को समर्थन देने का|
मेधा पाटकर, देवराम कनेरा, कमल यादव, मंजू बहन, श्यामा मछुआरा, विजय मरोला, विनोद भाई,दशरथ भाई, रामेश्वर भिलाला, कामेंद्र मंडलोई, रोहित ठाकुर, सुमित भाई
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