न्यायलय न्याय यात्रा के दौरान दमन, अन्याय के विरोध में शामिल हुए हजारों विस्थापित

गाँव गाँव में म.प्र शासन की गैर क़ानूनी कार्य की पोल खोल

नर्मदा सेवा यात्रा के लक्ष्य नहीं हुए हासिल – न पौधे जीवित हैं ना शराब हटी है

 

कल दिनांक 29 अगस्त 2017 के रोज शुरू हुई ‘नर्मदा न्याय यात्रा’, के तहत बडवानी की धान मंडी से न्याय का प्रतिक तराजू हाथ में लेकर पहले निकला मूक जुलूस, जिसमे सैंकड़ो सरदार सरोवर प्रभावित बहनों/भाइयों ने अपने मुह पर काली पट्टीयाँ लगा कर 5 किलोमीटर पैदल यात्रा की| आज़ादी आन्दोलन की शहादत को याद करते शहीद स्तंभ पर फूल-हार चढ़ा कर उन्होंने इस बार नर्मदा आन्दोलन के खिलाफ शासन अपनाये दमनकारी निति का विरोध किया | जिन 49 आन्दोलनकारियों पर 307 की धारा लगा कर, उनमे से तीन, विजय मरोला, ग्राम खापरखेडा, देवेन्द्र भाई उर्फ़ संतू पाटीदार, ग्राम निसरपुर और धुर्जी भाई पाटीदार, ग्राम निसरपुर को गिरफ्तार कर के बडवानी जेल में रखा था, उस जेल के सामने मुख पर पट्टी बाँध, बैनर और काले झंडे लेकर खड़े रहे आन्दोलनकारी | उनकी मांग थी इन तीनो को तुरंत रिहा करने की तथा प्रकरण वापस लेने की ! तीनो साथी शाम 6.30 बजे रिहा हुए, जिन्हें इनोद्रे हाई कोर्ट में बिन शर्त 40,000 की शुअरिटी के साथ नया. वेदप्रकाश शर्मा की पीठ ने अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर जी ने पैरवी की और अधिवक्ता अक्षत पहाड़िया ने सहायता की |

जुलूस के बाद शुरू हुई न्याय यात्रा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बादल सरोज जी ने यात्रा को नीली झंडी दिखाई | नेल्सन मंडेला के संघर्ष में 25 साल तक जेल भुगतने के बाद मिली जीत को याद करते हुए उन्होंने नर्मदा के सशक्त संघर्ष को सराहा ! उन्होंने कहा की मोदी शासन के जनतंत्र विरोधी कार्य में शिवराज सिंह जी की सरकार भी शामिल होकर जिस तरह से 32 साल के आन्दोलन को दबाने की कोशिश कर रही है, उसमे चुनौती लेने में महिला/बच्चों ने अनोखी ताकत दिखाई है | उन्होंने न्याय के लिए सत्य के आग्रह को न्यायपालिका ने भी गहरायी से देखना ज़रूरी है, यह कहते हुए, मध्यप्रदेश के जिले-जिले में हुए आन्दोलन समर्थन के प्रदर्शनों की जानकारी देकर आगे भी हर कोशिश, इसे जीताने के लिए करने का आश्वासन दिया ! धार जिले के मनावर तहसील के आन्दोलन के समर्थक श्री नारायण जोहरी ने कॉर्पोरेटीकरण के इस दौर में ज़मीन, पानी, नदी की लूट और अदानी, अम्बानी को संसाधन हस्तांतरित करना एक गंभीर समस्या बताई | सरदार सरोवर का पानी कोका-कोला या अल्ट्रा टेक सीमेंट कंपनी को देने की तैयारी का धिक्कार किया | विकास के नाम पर इस तरह की विकृति को नर्मदा घाटी की चुनौती बहुत ही अधिक प्रभाव देशभर में लायी है, यह कहते हुए उन्होंने कहा कि, सरदार सरोवर का पुनर्वास कानूनन ना करते हुए, अस्थायी रूप में थोपने की कोशिश अन्याय है | अब नर्मदा घाटी के, शहरवासी भी जान गए हैं सच्चाई जबकि शासन झूठे दावे फैलाने की पूरी कोशिश कर ही रही है !

मेधा पाटकर ने आन्दोलन के एक दौर की संपत्ति के वक्त आगे की चुनौती विषद की | आन्दोलन की अहिंसक शक्ति को मात्र बल प्रयोग से जवाब देने वाली शासन दमन चाहती है जब की हम अमन चाहते हैं | सरदार सरोवर के विस्थापितों ने सत्याग्रह को उचें स्तर पर पहुचने की दिशा में जो महिला शक्ति सामने आई है, उसे देशभर के विस्थापन को चुनौती देने में योगदान देना है | हम अब झूठे अपराधिक प्रकरण, लाठी या जेल से तो डरते ही नहीं लेकिन मोदी जी और शिवराज जी के शासन ने अगर डूब से गाँव खाली करने की कोशिश की तो 31 जुलाई 2017 की डेडलाइन की तरह उसके सामने भी सीना तान कर खड़े रहना ज़रूरी है | मुख्यमंत्री जी की घोषणाएँ और आदेश में अंतर है, यह कहकर, मात्र 5 लाख 80 हज़ार देने के लिए भी, घर-गाँव से हटने की मंजूरी, गरीबों से शपथ पत्र में लेना, कईयों के घर टूटने के बाद भी पैसा नहीं मिलना; पात्र विस्थापितों को भी कानून प्रावधान के खिलाफ, मात्र 20X60 का भूखंड देना, या टिन शेड में बसने कहना..सब गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण है | इस पर सवाल खड़ा न करे, इसलिए अपनाया है, दमन का रास्ता | लेकिन घाटी की जनता यह सोच समझकर आन्दोलन आगे बढ़ाएगी ज़रूर !

नर्मदा न्याय यात्रा पिछोड़ी, आवल्दा और भवति गाँव में रात 10 बजे तक सभाओं का दौर करते हुए आगे बढ़ी | हर सभा में करीबन 1000 लोग शामिल हुए जिसमे महिलाएं-बच्चो का जोश अभूत रहा | उपवासकर्ताओं के स्वागत के साथ ही यात्रा के दौरान विविध वक्ताओं ने संकल्प व्यक्त किया की पुनर्वास के सभी अधिकार, किसान, मछुआरे, कुम्हार, अन्य भूमिहीनों को भी आजीविका मिलने पर ही हटेंगे, उसके पहले नहीं !

न्याय यात्रा में, नर्मदा सेवा यात्रा के उद्देश्य एवं लक्ष्य की हासिली की जांच भी की गयी | पिछोड़ी, आवल्दा और भवति वसाहटों में कुछ हज़ार पौधे लगवाए थे लेकिन जिनमे से 50-100 मुश्किल से कहीं बचे हैं | पिछोड़ी, भवति में पहले से ही शराब बंदी सफल रूप से लागू थी और आज भी है | लेकिन शिवराज सिंह जी की घोषणा अनुसार जो नर्मदा किनारे की शराब की दुकाने 5 किमी दूर हटनी थी, वेह कुछ भी नहीं हुआ है | आवल्दा, भामटा में बहनों ने अपने गाँववासियों को भी चेतकर बंद करवायी थी, जो आज भी जोर शोर से चालू है, क्यूंकि प्रशासन की अवैध शराब बेचने वालो के साथ है | अवैध रेत खनन भी गोई, नर्मदा में जारी होते हुए यात्राकारियों ने देखा | पुलिस या आपकारी विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है | पिछोड़ी से लौटते यात्रा ने सुभाष पि. बद्री बाडैले का ट्रेक्टर रेत से भरा हुआ पाया जब ड्राईवर ट्रेक्टर छोड़ कर भाग गया | नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान अमरकंटक से ही इसे रोकने की मुख्यमंत्री ने की घोषणा भी फर्जी साबित हुई है |

न्याय यात्रा में आज घाटी के प्रतिनिधी राजघाट से 8.30 बजे शुरुआत करते हुए यात्रा बडवानी, अंजड, ठिकरी के डूब क्षेत्र के गाँव-गाँव में जाएगी | बगूद और छोटा बडदा में सबय होंगी |

 

कैलाश यादव, रणवीर तोमर, कमला यादव, जगदीश पाटीदार, सीताराम पाटीदार, पवन यादव

संपर्क: राहुल यादव (9179617513) | हिमशी सिंह (9867349307)

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बादल सरोज जी ने नर्मदा घाटी के 32 साल के संघर्ष और न्याय की लड़ाई को समर्थन देते हुए 'नर्मदा न्याय यात्रा' में शामिल हो मध्यप्रदेश सरकार को गुजरात चुनाव के लिए नर्मदा घाटी के लाखों लोगों को बिना पुनर्वास ना डूबाने की चेतावनी दी !

Posted by Narmada Bachao Andolan on Tuesday, 29 August 2017

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