बड़वानी, मध्य प्रदेश | सितम्बर 26, 2017: आज बडवानी जिले के बोरखेडी, भवती, बिजासन, अमलाली, अवल्दा, जांगरवा, सौन्दुल,पिछोडी नंदगांव, कठोडा, नंदगांव, पेण्ड्रा, राजघाट, भीलखेडा, राजघाट, कसरावद, एकलरा, कुण्डिया,देहदला, बगुद, पिपलुद, खेडी, उटावद, पिपरी, सेगांव, छोटा बडदा, धनोरा, आंवली, दतवाडा इत्यादि गांव के सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित परिवारों के द्वारा भू-अर्जन एवं पुनर्वास कार्यालय बडवानी का घेराव कर अधिकारियों से चर्चा की गई है।
राहुल यादव ने कहा कि मा. मुख्यमंत्री जी की घोषणा अनुसार आज तक कितने विस्थापितों को लाभ प्राप्त हुआ है, घोषणा और आदेशों में इस प्रकार से फेरबदल कर प्रस्तुत किया गया है, जैसे डूब क्षेत्र में रह रहे विस्थापितों को मकान बनाने के लिए अब एकमुश्त 5 लाख रुपये दिए जायेंगें। इसके अलावा 80 हजार रुपये अस्थाई व्यवस्था एवं राशन के लिए भी पहले की तरह मिलेंगें। इस मुददे पर अधिकारी कोई जवाब नहीं दे पाये, और जब कहा गया कि अपात्र विस्थापितों को भुगतान किया गया है, अधिकारियों ने कहा हमें जानकारी नहीं है।
बोरखेडी के विस्थापितों के द्वारा बताया गया है कि आज तक हमारे गांव का सम्पूर्ण पुनर्वास भी नहीं हुआ, आज भी हम मूलगांव या डूब क्षेत्र के गांव में निवासरत है, हमारे गांव के लिए कोई भी पुनर्वास स्थल नहीं बनाया गया है, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा।
भवती के किशोर भीलाला ने कहा कि हमारे गांव सन् 2005 से पुनर्वास स्थल पर मकान बनाये गये है परन्तु आज तक कोई भी भूखण्ड का पट्टा नहीं दिया गया है, पुनर्वास स्थल पर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है।
अवल्दा गांव के बारे में पेमा भीलाला ने कहा कि हमारे गांव में सम्पूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है, हम मूलगांव में निवासरत है, 53 मकानों को कोई भी अवार्ड अभी तक भी प्राप्त नहीं हुआ है, उसको अब डूब लेकर 5.80 लाख रू की पात्रता दी जा रही है यह कैसा कानून है। रामेश्वर भाई ने कहा कि हमारे पुनर्वास स्थल पर अभी पीने के पानी की सुविधाएं भी नहीं है, और इसके अलावा पुनर्वास स्थल पर कई और मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है।
जांगरवा गांव के मंशाराम भाई ने कहा कि हमारे गांव में अपात्र विस्थापितों को भुगतान किया गया है, वहीँ पात्र विस्थापितों को छोड़ दिया गया है।
बिजासन गांव के विस्थापितों का सम्पूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है, उसके मकानों तक पानी आ गया है उसको सरकार डूब से बाहर मान रही है, जो कि बिलकुल गलत है और वास्तविक में पानी बढ़ने के बाद अब रास्ते भी बंद हो गये है।
सौन्दुल गांव के सुखलाल भाई ने कहा कि हमारे गांव को पहले डूब में लिया गया था बाद में अप्रभावित बताया गया है अभी सरकार 17 मकान को ही डूब में बता रही है, जबकि हमारे गांव के मंदिर भी डूब गये है उनको भी कोई पुनर्वास नहीं हुआ है, हमारे पुनर्वास स्थल पर किसी ने भी मकान नहीं बनाया गया है, जो अस्थाई टिनशेड लगभग 2 करोड का बनाया गया है, वो बिलकुल रहने लायक नहीं है और उसमें कोई भी विस्थापित रहने के लिए नहीं आये है।
पिछोडी गांव की श्यामा मछुआरा ने कहा कि हमारे गांव का भी पुनर्वास नहीं हुआ है, मछुआरों को नर्मदा पर अधिकार दिया जाये जो अभी तक नहीं दिया गया है, पुराने समिति का पंजीयन तक नहीं किया गया है, हमारे गांव का एक भी पुनर्वास स्थल नहीं बनाया गया है, अलग-अलग 7 स्थानों पर भूखण्ड दिया गया है।
धनोरा गांव के कुवरजी यादव ने कहा कि हमारे गांव में परिवार के मुखिया विस्थापितों को ही पात्र मान गया है और जो वयस्क पुत्र घोषित हुए उनको छोड़ दिया गया है, हमारे गांव टापू बनने वाले है, और अभी हमारे गांव का पुनर्वास स्थल पर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है।
पिपलुद गांव के पवन यादव ने कहा कि हमारे गांव की खेती टापू बन गयी है उनके घर तक पानी आ गया है आने-जाने के रास्ते बंद हो गये है उसका कोई भी सर्वे नहीं हुआ है, पात्र विस्थापितों को छोड़ कर, फायदे अपात्र विस्थापितों को दिया गया है।
सेगांव गांव डॉ रमेश भाई ने कहा कि हमारे गांव आने-जाने के रास्ते बंद हो जायेंगे, हमारे गांव को पहले डूब में लिया गया है बाद में डूब से बाहर कर दिया गया है, हमारे गांव में पात्र विस्थापितों को पात्रता अनुसार लाभ नहीं दिया गया है, अभी भी भूखण्ड की रजिस्ट्रि नहीं हुई है, हमारे पुनर्वास स्थल पर अतिक्रमण किया गया है गैर-विस्थापितों के द्वारा।
कैलाश यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, नर्मदा ट्रिब्यूनल अवार्ड एवं राज्य की उदार पुनर्वास नीति के अनुसार, सरकार अभी तक पुनर्वास नहीं कर पायी है।
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