प्रेस नोट दिनांकः 04-8-2013

सैकडों एकड खेती मध्य प्रदेश में डूबी महाराष्ट्र में पहाडी गांव पानी से घिरे

हर साल की तरह, इस साल भी नर्मदा घाटी के बडे बांधों से कही रूका हुआ, तो कही छोडा गया पानी, महाराष्ट्र के नंदूरबार तथा मध्य प्रदेश के अलिराजपुर, बडवानी और धार जिलों में गैरकानूनी डूब का कारण बन गया। पिछले 2 दिनों में सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र में, सरदार सरोवर के कारण तथा ओंकारेश्वर बांध के 23 गेट्स एक साथ खोलने से जो डूब आई है, उससे नंदूरबार जिले के चिमलखेडी, बामनी, डनेल जैसे गांव के गांव, पीछे पहाड होते हुए, नदी का जल स्तर 129 मी. तक मानो समुंदर से घिरे गए, बामणी गांव के फलिए चढने से टापू बन चुके है।

पश्चििम निमाड के धार जिले के निसरपुर, चिखल्दा, करोंदिया, खापरखेडा आदि गंावों में पिछले साल की तरह, फिर से सेकडों एकड जमीन और खडी फसल डूब में आई है, जब कि उस पर अपनी आजीविका चलाने वाले विस्थापित किसानों को वैकल्पिक जमीन के साथ पुनर्वास का हक मिलना बाकी है। महाराष्ट्र या मध्य प्रदेश के पहाडी गांवों के जिन आदिवासियों की जमीन 1994 से डूब-प्रभावित होती गई, उनका पुनर्वास भी बाकी है। इनका जमीन डुबाना भी नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण और सर्वोच्च अदालत के फैसलों की अवमानना है।

महाराष्ट्र शासन ने, मध्य प्रदेश और गुजरात की यह साजिश, कि डूब से ही लोगों को उजाडे या उजडने मजबूर करें, इसके खिलाफ केन्द्रीय प्राधिकरण के समक्ष भी आवाज नही उठाना बिलकुल ही गलत है। ऊपरी क्षेत्र के बांधों से पानी छोडना है तो मई महीने में क्यों नही? यह सवाल महाराष्ट्र ने मध्य प्रदेश से करना और केंद्रीय प्राधिकरण से करना जरूरी है। करीबन 48,000 परिवार डूब क्षेत्र में होना और 5,000 से अधिक परिवारों को जमीन देना व ढंूढना भी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लिए एक चुनौती है।

घाटी के लाखों लोग आज भी सर्पदंश या अन्य आपदाओं का, डूब से नुकसान का, सामना करते हुए भी डटे है और डटे रहेंगें, यही निर्धार है। गुजरात के दबाव में और मध्य प्रदेश-गुजरात के गठबंधन के कारण बांध को आगे बढाते हुए, लाखों लोगों को डूब की भेंट चढाने के बारे में मध्य प्रदेश चुप है। मध्य प्रदेश अपने राज्य के किसान, मजदूर, मछुआरे, केवट, कुमहार के हितों को गुजरात के साथ उसके दलीय हित संबंधों से जोडना निन्दनीय है। महाराष्ट्र संवेदनहीन है और राजनीतिक दृष्टि से भी निष्क्रिय है। विस्थापितों को हर मोर्चे पर लडनी पड रही है और पडेगी। देश के संवेदनशील नागरिक और आंदोलन के समर्थक साथियों ने राज्य व केन्द्र शासन को पत्र लिखकर सवाल करना जरूरी है।

(कैलाश अवास्या) (नूरजी वसावे) (चेतन साळवे) (मीरा) (मेधा पाटकर)

फोनः 09179148973 द्य 09423944390

 

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