प्रेस नोट दिनांकः 22-8-2013
न.घा.वि.प्रा., नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी
जबलपुरः नर्मदा घाटी में अवैध रेत उत्खनन के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा दाखिल जन हित याचिका पर सुनवाई करते हुए, आज न्या. श्री राजेन्द्र मेनन और न्या. श्री विमला जैन के खण्डनीठ ने मध्य प्रदेश शासन, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी करने का आदेश दिया और 29, अगस्त को याचिका की अगली सुनवाई निश्चित की।
नर्मदा घाटी में रेत खनन का हाःहाकार पिछले कुछ सालों से जारी रहा है। सरदार सरोवर परियोजना के लिए अर्जित भूमि पर, नर्मदा किनारे, जल ग्रहण क्षेत्र में अवैध रूप से हो रही खनन से, जल-स़़्त्रोत, नर्मदा, भू-जल, मछली, रास्ते, पाईपलाइनों के साथ, हवा और खेती पर भी गंभीर असर होकर, कई कि.मी. चैडी और 60 फीट तक गहरी खदाने खोदी गई है। इस अवैधता यहंा तक कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा, गुजरात के कब्जे में जा चुकी जमीनों पर भी उत्खनन जारी रहा और कई शिकायतों और थ्प्त् के बावजूद, 1 करोड, 76 लाख रू से भी उपर अधिक अर्थ दण्ड वसूली के अलावा, कारवाई नही हुई। ठेके नाम के वास्ते, कागज पर रखकर, अंधाध्ुांध रेत खनन, लाखें रूपयों की रायलटी डुबोकर, होता रहा।
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने रास्ते पर उतरकर, पिछोडी जैसे गांवों में ट्रको के द्वारा हो रही अवैध रेत परिवहन, को रोका, फिर भी, नीलामी और उम्खनन जारी रहा। अभी- अभी पेन्ड्रा गांव में हुई मजदूरों की मौत के कारण, थ्प्त् दाखिल हुए, कुंडिया गांव के पटेल परिवार के 3 युवक गिरफतार हुए और पिछोडी में भी गांव-वासियों और आंदोलनकारियों के संघर्ष के बाद, कुछ गिरफतारी हुोकर, कुछ रोक लगी।
पर्यावरणीय सुरक्षा कानून, मा. सर्वोच्च न्यायालय की 27.2.2012 का फैसला, नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले का तीव्र उल्लंघन करते हुए, बडवानी, धार और खरगोन जैसे जिलों में, अवैध उत्खनन जारी रहा और पूर्व में भी इसमें अवैधता होने के कारण, इसे चुनौती देते हुए, जबलपुर उच्च न्यायालय में नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से जन हित याचिका दाखिल की गई, जिसकी सुनवाई आज हुई।
न्या. श्री राजेन्द्र मेनन और न्या. श्री विमला जैन के खण्डपीठ के समक्ष, इस पर बहस करते हुए, आंदोलन ने कहा कि इस खनन से नर्मदा नदी और उसकी उप-नदियों की हत्या, जल ग्रहण क्षंत्र की प्राकृतिक व्यवस्था पर, तथा, हजारांे लोगों की जीवन-जीविका पर, हमला हो रहा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय या उनकी राज्य स्तरीय प्राधिकरण (म.प्र. राज्य पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण), नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के मंजूरी के बिना अवैध खनन जारी रखा गया, इसलिए हमें इस न्यायालय का सहारा लेना पड रहा है। मेधा पाटकर ने आंदोलन की ओर से पैरवी की।
मध्य प्रदेश शासन की ओर से पैरवी करते हुए, अधिवक्ता श्री पी.के. कौरव ने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने अभी- अभी इस मुद्दे पर आदेश जारी किया है, तो यह याचिका उनके समक्ष ही दाखिल होनी चाहिए, उच्च न्यायालय में नही। आंदोलन ने न्यायपीठ को अवगत कराया कि इस याचिका का आधार केवल पर्यावरणीय मुद्दे तथा पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम का ही उल्लंघन नही है, बल्कि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले के साथ, विभिन्न स्तर के कानूनों और नियमों का उल्लंघन । इसके साथ, भ्रष्टाचार, अत्याचार आदि शिकायतें भी इस याचिका में सम्मिलित है।
इसमें शासकीय विभाग – राजस्व, खनिज, कुछ पुलिस, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ, राजनेता और खनन माफिया का गठजोड है। इसलिए इस अवैध कार्य को तत्काल रोकना चाहिए और उच्च न्यायालय ही उचित मंच है। आंदोलन ने यह बात भी उजागर किया कि 30, अगस्त को संपूर्ण कानूनी उल्लंघन के साथ, बिना पर्यावरणीय मंजूरी, धार जिले के डूब-क्षेत्र तथा सरदार सरोवर के जल-ग्रहण क्षेत्र के गांवों में रेत उत्खनन की नीलामी होने जा रही है, जिसे रोकना, व्यापक जन-हित में अतिअवश्यक है।
न्यायपीठ ने हम्दस्त पद्धति से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। साथ ही मध्य प्रदेश शासन और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भी मा. न्यायपीठ ने नोटिस जारी किया। 29, अगस्त को इस याचिका की अगली सुनवाई निश्चित की गई है। म्ूाल आदेश की अंग्रेजी प्रतिलिपि संलग्न है ।
(भागीरथ कवचे) (मीरा) (कमला बहन) (रामा गुलाब)
फोनः 09423965153 / 07354382148
Tags: अवैध रेत खनन, नर्मदा आंदोलन, नर्मदा घाटी