भोपाल, दिनांक 26/02/2016
1 सभी शिकायतों पर, आरोपी (खननकर्ता, वाहनकर्ताओं) के खिलाफ आय.पी.सी. के तहत चोरी का अपराध।
2 अवैध खनन, वाहन पर की गई प्रतिबंधक कार्यवाही पर पुरी रिपोर्ट शासन व जिलाधिश प्रस्तुत करे।
3 आरोपीओं के नामों के साथ दंडात्मक कारवाई रिपोर्ट पेश करे।
4 दो जांच आयुक्तों की रिपोर्ट को झुठलाने वाले जिलाधिशों की रिपोर्ट पर न.ब.आं. का जवाब होगा।
5 18 मार्च को अगली सुनवाई करेगा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण।
6 जप्त किये वाहनो को छुडवाने के लिये रखी गई अर्जिया अस्वीकृत की।
आज, 26 फरवरी के रोज, नर्मदा घाटी में चल रहे अवैध रेत खनन पर, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के अध्यक्ष श्री सोनम वागड़ा व विशेष सदस्य श्री डेब्राल के न्यायपीठ के समक्ष कढी बहस हुई। न्यायाधिकरण से नियुक्त दो वरिष्ठ अधिवक्ता-श्री अजय गुप्ता व धर्मवीर शर्मा के जांच आयेाग की रिपोर्ट 3 फरवरी को पेश की गई थी, उस पर, न्यायाधिकरण के आदेश अनुसार बड़वानी, धार, खरगोन व अलिराजपुर के चारो जिलाधिशोे से अपने अपने जवाब हलफनामो के साथ पेश किये ।
इन जवाबो पर मौखिक जवाब देते हुए, तत्कालिक रूप से, आंदोलन की पेरवी करने वाली मेधा पाटकर ने जवाब में दिये गये कई मुद्दों को बिनाधार व गलत ठहराया। जैसे कि:
1. बड़वानी सहित सभी जिलाधिशो का, सभी जगह चेकपोष्ट खडी है, यह दावा। जबकि आयुक्तों बड़वानी में भी एक चेकपोष्ट रातोरात खडी करते हुए देखने की बात उनकी रिपोर्ट में लिखी है। जिलाधिश के जवाब में कहां गया है कि आयुक्तों ने चेकपोष्ट की मुलाकात ली जो कि झूठ है।
2. पर्याप्त कानूनी कार्यवाही व अवैध रेत खनन पर पुरी निगरानी का दावा जबकि आयुक्तो की रिपेार्ट एवं आंदोलन की जानकारी के बावजूद रेत खनन जारी होने की और कई बार इमानदार गांववासियेां ने आंदोलनकारियेां में उसकी खबर देने के बाद भी, सख्त कानूनी कार्यवाही नही की गई है। कभी मूल वाहन मालिक को छोड़ दिया तो कभी केवल खनिज कानून, 1957 के तहत अर्थदण्ड लगाया, फौजदारी अपराध नही।
3. 15 व्यक्तियों पर एफआयआर दाखिल करने का दावा लेकिन सैकडो को केवल न्यूनतम राशि वसूल कर छोड़ने की बात जिलाधिशो ने अपने हलफनामे में छिपाई है। आंदोलन ने 4 सितम्बर 2014 के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम.व्हाय. इकबाल, व न्या. चंद्रघोस के न्यायपीठ के फैसले अनुसार, रेत खनन की चोरी के मामले में आय.पी.सी., (भा.द.स.) 379 की धारा के तहत प्रकरण हर आरोपी के खिलाफ लगाने की मांग की।
4. रेत खनन अवैध न हो इसलिये निगरानी के लिये जिलावार व गांववार निगरानी समिति बनाने का शासन का दावा आंदोलन की ओर से झूठा ठहराया गया।
5. आयुक्तो की रिपोर्ट की ग्राम लेपा जिला खरगोन, ग्राम बलगांव, ग्राम पेण्ड्रा जैसे गांवों में अवैध रेत खनन पर रिपोर्ट शासन की टिप्पणी व आपत्ति आंदोलन ने गलत ठहराकर आयुक्तो की रिपोर्ट सच बताई, लिखित शपथ पत्र दाखिल करना मंजूर किया।
6. अर्थदण्ड से ही जरब सजा पाते है आरोपी, इस दावे पर, अर्थदण्ड कम आकने पर आपत्ति उठाते हुए आंदेालन ने साथ ही साथ अपराधिक प्रकरण भी दर्ज करने की कानूनी जिम्मेदारी और बंधनकारकता पर जोर दिया।
7. शासन की कार्यवाही से अवैध रेत खनन रूका हुआ है इस दावे पर सख्त आपत्ति उठाकर नवम्बर व फरवरी में दाखिल धार जिले की शिकायतो पर आज तक अपराधिक प्रकरण दाखिल न करने की, बड़वानी में सभी और सही आरोपियेां के खिलाफ कार्यवाही न करने के उदाहरण पेश किये।
माननीय प्राधिकरण की खण्डपीठ ने अपने आदेश में कहां है कि आयुक्तो की रिपोर्ट में शासन के अवैध रेत खनन पर कार्यवाही पर कठोर टीका टिप्पणी की है, और अवैध रेत खनन गंभीर मात्रा में चलने की बात कही है। शासन के जवाब, चारो जिलाधिशेा से जो प्रस्तुत किये गये है, उससे पर्याप्त कार्यवाही का दावा जरूर किया है लेकिन अर्जदार (न.ब.आं) को इस पर आपत्ति है, जो वह 7 दिनो में पेश करेगे ओर अगली सुनवाई 18 मार्च के रोज होगी। आदेश में विशेष रूप से कहां है कि शासन उन्होने की हुई आज तक की कार्यवाही की पूरी जानकारी, आरोपियेां के नामो के साथ पेश करें। खनिज कानून के अलावा आई.पी. सी. की सुयोग्य धारा के तहत तथा पर्यावरण सुरक्षा कानून एवं अन्य संबंधीत कानूनों के तहत समुचित कार्यवाही संबंधित अधिकारी सुनिश्चित करे। हम अवैध रेत खनन की बडी मात्रा से विचलित हुए है। जिलाधिशो ने अपने जवाब में प्रतिबंधक उपायो पर विशेष प्रस्तुती नही की है। अवैध खनन रोकने व दोषियों को सजा की सख्त कार्यवाही की जाय, जब्त किये गये वाहनो को मुक्त करने की अर्जिया हम खरिज करते है।
मुकेश भगोरिया-9826811982
Tags: Narmada, NGT, River Basin, Sand Mining