प्रेस नोट 2.10.2013

धरती और नर्मदा माता को खत्म करने वाली सरकार को नर्मदा में फेक दों

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सरदार सरोवर और जोबट बांधो के डूब क्षेत्र से राजघाट में, नर्मदा किनारे एकत्रित हुए, सेकडों आदिवासियों, किसानों, मजदूरों, मछुआरों, केवटों ने आज महात्मा गाँधी जी को उनके जयंती पर याद करते हुए, नारा दिया दिया कि घाटी और गाँधी की लडाई एक हैं। 28 सालों से अहिंसक और सत्याग्रही रुप से निमाड और पहाड में सही विकास के लिए चल रही संघर्ष और निर्माण आजादी की लडाई से कम नही, यह बात आज के कार्यक्रम के मुख्य मार्गदर्शक स्व. काशीनाथ त्रिवेदी जी और गाँधी समाधी स्थापक के सुपुत्र वरिष्ट अधिवक्ता और गाँधी विचारक अनिल भाई त्रिवेदी जी ने कहा। धरती माता और नर्मदा माता को खत्म करने वाली, डूबाने वाली भ्रष्टाचारी सरकारें और राजनितीतिक दलों को नर्मदा में डूबा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि घाटी का हर विथापित जो सही लडाई लड रहें हैं, गाँधी जी से कम नही है।

उन्होंनें देश को खिलाने वाले किसानों और ग्रामीणों की जमीन छीनना, आजीविका खत्म करना और राहत मे उन्हे 5 पूरियाँ देने की निदंा भी की। त्रिवेदी जी ने आहृान किया कि नर्मदा घाटी और आंदोलन गाँंधीवादी और ग्राम उधोग विचारधारा आगे बढाने के लिए यहाँ के युवा शक्ति को कटिबध्द रहना पढेगा। आज राज्यपाल के हाथों वरिष्ट सामाजिक कार्यकर्ता का सत्कार स्वीकार करने के कार्यक्रम को छोडकर, घाटी मे लोगों के साथ रहना, उनकी सामाजिक दायित्व दर्शाता है।

मेधा पाटकर जी ने कहा कि राजघाट की समाधी और घाटी के सेकडो गाँव डूबाकर भी हम जिंदा और आबाद है और यहाँ लगातार कानूनी और मैदानी संघर्ष चल रही है। म.प्र. अपना जल (नदी), जंगल और हजारों हेक्टर जमीन देकर भी, बिजली तक नही प्रा्र्रप्त कर रही है और गुजरात के मुख्यमंत्री राजनितीक लाभों के लिए म. प्र. के गठजोड से, घाटी के भविष्य के साथ खिलवाड कर रहे है, मगर गाँधी जी की प्रेरणा से यहाँ की जनता पार्टी से आगे, घाटी के हित के लिए हमेशा कटिबध्द है।

कहार-मछुआरे की ओर से मडूभाई (चिख्लदा), कुम्हारों की ओर से रमेश प्रजापति (निसरपुर) ने हजारों मछुआरे-मजदूर-कुम्हारों की पीडा बताते हुए, शासन को चेताया कि पूरा हक, वैकल्पिक आजीविका मिले बिना, नर्मदा किनारा नही छोडेंगे। पिपरी की शांता बहन ने म.प्र. और गुजरात शासन की किसान विरोधी नीतियों का धिक्कार करते हुए कहा कि जमीन और नदी की कीमत नही जानने वाली सरकार जनता की कैसे प्रतिनिधित्व करेगी? सोन्दुलपटटी के मोरक्ट्रटा से लेकर भिलखेडा तक, कसरावद, पिपलूद से लेकर बडदा तक बडवानी जिले के ही नही मनावर, धरमपुरी कुक्षी और अलिराजपुर के भी डूब-प्रभावितों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

जीवनशालाओं के बच्चों ने गीतों के द्वारा उनकी और सबकी स्पूर्ती बढाई। बारिश के कारण् , नर्मदा पर संकल्प नही लेने के बावजूद, अनिल भाई और मेधा बहन के मार्गदर्शन में राजघाट के मंदीर पर ही सैकडों लोगों ने घाटी की एकता का संकल्प लिया और नैतिक, कानूनी, प्राकृतिक संघर्ष और निर्माण के लिए, गाँधीजी कंे मूल्यों को आगे बढाने के लिए, एक नई आजादी की लडाई के लिए तैयारी दिखाई ।

कैलाश यादव   भागीरथ कॅवचें   कमला यादव   मीरा बहन

 

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