पर्यावरणीय शर्तों के अमल के बिना नहर खुदाई से निमाड में खेती की बरबादी
नर्मदा घाटी में ओंकारेश्वर परियोजना के नहर क्षेत्र में 3-4 जुलाई के रोज केवल 24 घंटे पानी बरसने से तबाही मच गई। बडवाह तहसिल के कई गाँवों में ओकारेश्वर की मुख्य नहर के लाभार्थी घोषित हुओं में से, सेकडों किसानों की कुल कुछ हजार एकड खेती/खडी फसल तथा कही जमीन ओर सैकडांे मकान भी बरबाद हुए है। बावडीखेडा से लेकर किठूद, आमलाथा, अस्तरिया, बडवाह, तक के गाँव में कही आमलाथा का नाला था, किठुद से बहती कोलए नदी से बडी बारिश के बाद, प्राकृतिक पानी के रास्ते याने निकास की व्यवस्था न की जाने से, नहर के कारण रोके जाकर, यह डुब एंव करोडों का नुकसान हुआ है।
कपास, सोयाबीन, मिचीर्, पपीता जैसी खडी फसल या बोनी बरबाद हुई है।ं हर जगह सिमेंट लाईनिंगं टूटकर, पानी ने आपना प्राकृतिक रास्ता लेकर नहर ़रूपी अवरोध को कही 50 तो कही 150 फीट तक तोडकर, नहर के दोनो किनारे जल जमाव तथा भू-क्षरण से खेत/फसल बरबाद किया है। आमलाथा, अस्तारिया में कई गरीब भूमिहीनों के मकान पूरे धस कर, ध्वस्त हुए तो बफलगांव, किठुद गांव में पानी घुस कर दीवारे धसने लगी।
आमलाथा के कालू भाई धनाजी और उनकी पत्नी कमला बहन पेड पर चढ गये तो कैसे-कैसे बच गये कई गरीब दलित परीवारों का सामान सहीत घर का नुकसान होने से, उनके घरो में चुल्हा नही जला है। गाव की और से कुछ अनाज तो दिया गया है लेकिन शासंन या छटक्। जैसे जिम्मेंदार सस्था की ओर से कोई राहत आज तक नही पहुंची है ।
निकास बिना नहर निर्माण – विकास नही, विनाश ।
नर्मदा घाटी के काली कपास की मिटटी वाले क्षेत्र में लाभ क्षेत्र विकास के तथा नहर ग्रस्थो के पुर्नवास कार्य की योजना ही, अघिकांश जगह लोगो ने नहर कार्य को निकास व्यवस्था के बाद ही बढाना चाहिए यह आग्रह रखते हुए प्रथम हाई कोर्ट और फिर सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के तहत मांग की थी। उच्च न्यायलय एंव सर्वोच्च न्यायलय में और 2009 से 2011 तक चली याचिका के दौरान ही, लाभ क्षेत्र विकास ,के कुछ प्लान बने, लेकिन इस पर केवल 1ः लाभ क्षेत्र में ही अमल हुआ है। नहर ग्रस्त तथा लाभार्थीयो नें भी जहँा-जहँा रोकने की कोशीश की, वहँा-वहँा पुलिस बल लगाया गया, धमकाया गया कही भ्रमित भी किया गया। नर्मदा बचाओ अन्दौलन को विकास विरोधी साबित करने की कोशिश भी हुई जिसकी पोल-खोल अभी हुई है।
भ्रष्टाचार के कारण पर्यावरणीय शतो की पूर्ति न करते हुए, अधाधुंध नहर कार्य बढानें की विनाशकारी योजना को आंदोलन, कोर्ट और मैदानी स्तर पर चुनौती देगा।